क्या राहुल गांधी को चुनाव आयोग के खिलाफ अपने आरोपों को साबित करने के लिए घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी के आरोपों के पीछे की सच्चाई जानने की कोशिश करें।
- चुनाव आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर चर्चा करें।
- लोकतंत्र के लिए ये आरोप क्या मायने रखते हैं, इस पर विचार करें।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए 'वोट चोरी' के गंभीर आरोपों पर आयोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चुनाव आयोग ने इस मामले की विस्तृत जांच के लिए राहुल गांधी से हलफनामा देने की मांग की है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि राहुल गांधी अपने विश्लेषण पर विश्वास करते हैं और उन्हें आयोग के खिलाफ लगाए गए आरोप सही लगते हैं, तो उन्हें बिना किसी हिचकिचाहट के घोषणा-पत्र (डिक्लरेशन) पर हस्ताक्षर करना चाहिए। आयोग ने यह भी कहा कि अगर राहुल गांधी इस घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करते, तो इसका अर्थ होगा कि उन्हें अपने द्वारा किए गए आरोपों पर विश्वास नहीं है। ऐसे में, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने बेबुनियाद आरोप लगाए हैं।
आयोग ने कहा है कि राहुल गांधी के पास अब सिर्फ दो विकल्प हैं: या तो घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करके अपने आरोपों को साबित करें, या फिर बिना किसी आधार के आरोप लगाने के लिए राष्ट्र से सार्वजनिक माफी मांगें।
ज्ञात हो कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आयोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर चुनावों में धांधली कर रहा है और लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि हमारे संविधान की नींव 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत पर आधारित है। इसलिए जब चुनाव होते हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या सही लोगों को वोट डालने की अनुमति मिल रही है? क्या वोटर लिस्ट में फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं? क्या वोटर लिस्ट सटीक है?
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से लोगों में संदेह बढ़ता जा रहा है। उन्होंने पांच मुख्य बिंदु गिनाए और कहा कि भाजपा को कभी भी एंटी-इनकंबेंसी (विरोधी लहर) का सामना नहीं करना पड़ता। भाजपा को अप्रत्याशित और बड़ी जीत मिल जाती है। ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल बार-बार गलत साबित होते हैं। मीडिया द्वारा तैयार किया गया माहौल और चुनाव कार्यक्रम को सोच-समझकर 'कोरियोग्राफ' करना भी इन पांच बिंदुओं में शामिल है।