क्या गिरिराज सिंह हिंदुत्व के प्रखर समर्थक हैं और विवादों के केंद्र में भाजपा के दिग्गज नेता हैं?

सारांश
Key Takeaways
- गिरिराज सिंह की स्पष्ट विचारधारा और हिंदुत्व के प्रति उनकी निष्ठा महत्वपूर्ण है।
- उन्होंने कई बार विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियाँ बटोरी हैं।
- उनका राजनीतिक सफर बिहार में शुरू हुआ और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।
- गिरिराज सिंह विपक्ष पर लगातार हमलावर बने रहते हैं।
- उनकी फायरब्रांड छवि उन्हें मीडिया में चर्चित बनाती है।
नई दिल्ली, ७ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख नेता और केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह अपनी स्पष्ट विचारधारा और हिंदुत्व के प्रति अटूट निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में, बिहार में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि इस यात्रा से इंडिया गठबंधन का सूपड़ा साफ हो जाएगा।
बिहार के बेगूसराय सीट से सांसद गिरिराज सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगियों में से एक माने जाते हैं। उनकी तीखी टिप्पणियाँ और धार्मिक-सामाजिक मामलों पर कट्टर रुख उन्हें अक्सर विवादों के केंद्र में रखता है, जिससे वह भारतीय राजनीति में एक प्रमुख और प्रभावशाली चेहरा बन गए हैं।
विपक्ष पर उनके लगातार हमलावर बयानों और फायरब्रांड छवि ने उन्हें जनता और मीडिया की सुर्खियों में बनाए रखा है।
गिरिराज सिंह का जन्म ८ सितंबर १९५२ को बिहार के लखीसराय जिले के बरहिया में हुआ। उन्होंने १९७१ में मगध विश्वविद्यालय से स्नातक (बीए) की डिग्री प्राप्त की। स्नातक की पढ़ाई के बाद, उनका रुझान खेती की ओर था, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि वह भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
गिरिराज सिंह का राजनीतिक सफर बिहार से शुरू हुआ। वे २००२ से २०१४ तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। इस दौरान, वे २००८-२०१० तक सहकारिता मंत्री और २०१०-२०१३ तक पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रहे।
२०१४ के लोकसभा चुनाव में उन्हें नवादा से टिकट मिला। मोदी लहर के चलते गिरिराज सिंह ने चुनाव जीतकर भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार में मंत्री का पद ग्रहण किया। २०१९ और २०२४ में भी उन्होंने बेगूसराय सीट से जीत हासिल की। उन्होंने लगातार तीन बार संसद का चुनाव जीता और केंद्र में मंत्री बने।
उनकी कट्टर हिंदूवादी छवि और विपक्ष पर तीखे हमले उन्हें जनता और मीडिया का ध्यान आकर्षित करते हैं।
२०२४ में उनके कुछ विवादित बयानों ने काफी चर्चा पैदा की। उन्होंने कहा कि यदि १९४७ के बंटवारे के समय सभी मुसलमानों को पाकिस्तान भेज दिया जाता, तो भारत में लव जिहाद और हिंदू त्योहारों पर पत्थरबाजी जैसी घटनाएँ नहीं होतीं। उन्होंने इसे नेहरू और गांधी की गलती बताया, जिस पर विपक्ष ने कड़ा ऐतराज जताया। इसके अलावा, हिंदू स्वाभिमान यात्रा के दौरान उन्होंने सीमांचल क्षेत्र में वक्फ बोर्ड को कांग्रेस की 'नाजायज औलाद' करार दिया, जिसने भी विवाद को जन्म दिया।
गिरिराज सिंह की स्पष्ट शैली और हिंदुत्व के प्रति उनकी अटूट निष्ठा उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशेष पहचान देती है। उनके बयान अक्सर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बनते हैं। चाहे प्रशंसा हो या आलोचना, गिरिराज सिंह भारतीय राजनीति के एक ऐसे चेहर हैं जो हमेशा चर्चा में रहते हैं।