क्या भोपाल में कमजोर आदिवासियों को उजाड़ने की कार्रवाई कर रही है सरकार? : सिंघार
सारांश
Key Takeaways
- सरकार की कार्रवाई पर विवाद उठाया गया है।
- आदिवासियों के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
- नेता प्रतिपक्ष ने कानूनी पुनर्वास की मांग की है।
- श्यामला हिल्स में बेदखली की प्रक्रिया तेज की गई है।
- यह मुद्दा न्याय और इंसानियत से जुड़ा है।
भोपाल, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स से कई परिवारों को बेदखल करने की प्रक्रिया जारी है। इस कदम पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने गंभीर सवाल उठाए हैं।
उमंग सिंघार ने एक प्रेस बयान में कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों को सिर्फ इस कारण बेदखल कर रही है क्योंकि वे कमजोर हैं। श्यामला हिल्स के निकट 4 एसडीएम, 101 अधिकारी और 4 थानों की फोर्स लगाकर झुग्गियों को हटाया जा रहा है, क्योंकि यह क्षेत्र वीवीआईपी है।
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या कानून केवल गरीबों के लिए है? क्या प्रशासन की सारी शक्ति कमजोरों को उजाड़ने के लिए ही है? उन्होंने तंज करते हुए कहा कि जिन भगवान राम के नाम पर आप गरीब आदिवासियों को बेघर कर रहे हैं, उन्हीं आदिवासियों ने वनवास में प्रभु श्रीराम को बेर खिलाए थे। प्रभु श्रीराम को भी यह अन्याय स्वीकार्य नहीं होगा।
उन्होंने आगे कहा कि मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का आधिकारिक पत्र यह स्पष्ट करता है कि श्यामला हिल्स क्षेत्र में आदिवासियों को वन भूमि से बेदखल करना नियमों के खिलाफ है। फिर भी आयोग के निर्देशों को नजरअंदाज कर झुग्गियों को तोड़ना भाजपा सरकार की आदिवासी-विरोधी और मनमानी कार्यशैली को दर्शाता है।
नेता प्रतिपक्ष ने यह आरोप भी लगाया है कि शासन और प्रशासन नियमों को ताक पर रखकर कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इस कार्रवाई को तुरंत रोका जाए, गरीबों के घर न तोड़े जाएं, या उन्हें कानूनी रूप से सम्मानजनक पुनर्वास दिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि इन आदिवासी परिवारों के साथ पहले कतार में खड़े होकर संघर्ष करूंगा। यह लड़ाई आस्था के नाम पर अन्याय की नहीं, न्याय और इंसानियत की है।