क्या रेलवे सेक्टर में निवेशकों की वापसी हो गई है?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय रेलवे के शेयरों में तेजी आई है।
- मार्केट कैप में 66,500 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है।
- किराया बढ़ने से रेलवे को अतिरिक्त आय होगी।
- निवेशकों का विश्वास धीरे-धीरे लौट रहा है।
- कुछ कंपनियों के शेयरों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
मुंबई, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रेलवे से संबंधित शेयरों में एक लंबे अंतराल के बाद फिर से उत्साह देखने को मिला है। पिछले पांच कारोबारी सत्रों में रेलवे सेक्टर के शेयरों में अच्छी बढ़त दर्ज की गई है।
इस उत्साह के चलते रेलवे से जुड़ी कंपनियों के मार्केट कैप में लगभग 66,500 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। निवेशक आगामी केंद्रीय बजट को ध्यान में रखते हुए पुनः निवेश कर रहे हैं और कंपनियों की कमाई के संकेत भी सकारात्मक दिखाई दे रहे हैं।
रेलवे शेयर लंबे समय तक दबाव में रहे थे, विशेषकर वर्ष 2025 में। जुलाई 2024 में इस क्षेत्र के उच्चतम स्तर पर पहुँचने के बाद शेयरों में गिरावट का सामना करना पड़ा था। अधिक कीमतों और सरकारी समर्थन की उम्मीदों में कमी के कारण कई शेयर नीचे आ गए थे।
हाल ही में आई तेजी से स्पष्ट होता है कि निवेशकों का विश्वास धीरे-धीरे वापस लौट रहा है। इसकी वजह किराया बढ़ाना, बजट से उम्मीदें, और कुछ कंपनियों से जुड़ी सकारात्मक खबरें हैं।
इस तेजी में ज्यूपिटर वैगन्स सबसे आगे रहा, जिसके शेयर मात्र पांच दिनों में लगभग 37 प्रतिशत बढ़ गए। रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के शेयर लगभग 27 प्रतिशत और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी) के शेयर 20 प्रतिशत से अधिक चढ़े।
इसके अलावा, इरकॉन इंटरनेशनल, टीटागढ़ रेल सिस्टम्स, रेलटेल कॉर्पोरेशन, टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग, राइट्स और बीईएमएल जैसी कंपनियों के शेयरों में भी शानदार बढ़त देखी गई।
हालांकि, इतनी तेजी के बावजूद अधिकांश रेलवे स्टॉक अभी भी अपने पुराने उच्चतम स्तर से नीचे हैं।
इस तेजी का एक प्रमुख कारण भारतीय रेलवे द्वारा 26 दिसंबरकिराया बढ़ाने का दूसरा मौका है। लंबी दूरी की यात्रा में सामान्य, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का किराया प्रति किलोमीटर 1 से 2 पैसे बढ़ाया गया है। हालांकि, लोकल और उपनगरीय ट्रेनों के किराए में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
इस किराया बढ़ोतरी से रेलवे को चालू वित्त वर्ष में लगभग 600 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी होने की उम्मीद है।
फिलहाल, यात्री ट्रेन सेवाएं घाटे में चल रही हैं, क्योंकि किराया लागत से लगभग 45 प्रतिशत कम है। यह घाटा माल ढुलाई से होने वाली कमाई से पूरा किया जाता है।
किराए में इस बदलाव से रेलवे की आय बढ़ेगी, घाटा कम होगा और रेलवे की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।