क्या भूपेंद्र यादव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और अरावली संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश अरावली पहाड़ियों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया है।
- नई खनन लीज पर रोक जारी रहेगी।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अरावली हिल्स के संरक्षण और परिभाषा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। वर्तमान में, कोर्ट ने सोमवार को अपने पूर्व आदेश पर रोक लगाई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस आदेश का स्वागत किया है और अरावली पहाड़ियों की सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा, "मैं अरावली रेंज से जुड़े अपने आदेश पर रोक लगाने और नए मुद्दों का अध्ययन करने के लिए नई कमेटी गठित करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का स्वागत करता हूँ। हम अरावली रेंज की सुरक्षा और संरक्षण में एमओईएफसीसी से मांगी गई सभी सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वर्तमान में, नई खनन लीज या पुरानी खनन लीज के नवीनीकरण पर पूरी तरह से रोक है।"
भूपेंद्र यादव ने कहा कि यह कदम अरावली की प्राकृतिक सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए बेहद आवश्यक है। सरकार इस दिशा में सक्रिय है और एमओईएफसीसी के माध्यम से सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।
वास्तव में, अरावली हिल्स की परिभाषा को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को सुनवाई की। सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले को स्थगित कर दिया है।
इससे पहले, 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा को स्वीकृति दी थी। अदालत ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्र में विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक नई खनन लीज देने पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को करेगा। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद ही नई खनन लीज देने या पुरानी लीज के नवीनीकरण पर निर्णय होगा। इस फैसले से अरावली क्षेत्र में खनन गतिविधियों पर रोक जारी रहेगी।