क्या सिलीगुड़ी कॉरिडोर 78 साल पुरानी भूल है, जिसे 1971 में सुधारना चाहिए था? : सद्गुरु

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क्या सिलीगुड़ी कॉरिडोर 78 साल पुरानी भूल है, जिसे 1971 में सुधारना चाहिए था? : सद्गुरु

सारांश

सद्गुरु ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है, इसे 78 साल पुरानी विसंगति का नाम दिया है। उन्होंने 1971 में सुधार का अवसर खोने का उल्लेख किया और कहा कि अब इसे मजबूत करने का समय आ गया है। क्या यह भारत की सुरक्षा के लिए आवश्यक है?

Key Takeaways

  • सिलीगुड़ी कॉरिडोर को 78 साल पुरानी विसंगति कहा गया है।
  • 1971 में इसे सुधारने का अवसर था।
  • देश की सुरक्षा के लिए इसे मजबूत करने की आवश्यकता है।
  • आदर्श स्थिति में दुनिया सीमाविहीन हो सकती है।
  • बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है।

नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने भारत की सामरिक सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़े एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपने विचार साझा किए हैं। बेंगलुरु में स्थित सद्गुरु सन्निधि में आयोजित एक सत्संग के दौरान, जब उनसे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर की गई टिप्पणियों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसे भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप उत्पन्न '78 साल पुरानी विसंगति' करार दिया।

सद्गुरु ने कहा कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे आमतौर पर 'चिकन नेक' कहा जाता है, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाली एक संकीर्ण भूमि है। यह स्थिति 1947 के विभाजन के समय से अस्तित्व में है। उन्होंने कहा कि भले ही 1946-47 में भारत के पास इसे सुधारने का अधिकार या परिस्थितियां न थीं, लेकिन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद, भारत के पास इसे सुधारने का पूरा मौका और अधिकार था, जिसे हमने खो दिया।

सद्गुरु ने अपने विचारों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर भी साझा किया। उन्होंने लिखा, "सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के विभाजन से उत्पन्न 78 साल पुरानी विसंगति है, जिसे 1971 में सुधारना चाहिए था। अब जब देश की संप्रभुता को खुली चुनौती मिल रही है, तो यह समय है कि इस 'चिकन' को पोषण देकर 'हाथी' बनाया जाए।"

सद्गुरु ने प्रतीकात्मक भाषा में कहा कि किसी भी देश की नींव कमजोरी पर नहीं टिक सकती। उन्होंने कहा, "राष्ट्र सिर्फ 'चिकन' बनकर नहीं चल सकता, उसे 'हाथी' बनना होगा। इसके लिए अगर पोषण चाहिए, ताकत चाहिए, या कोई अन्य ठोस कदम उठाने पड़ें, तो वह करना ही होगा। हर कदम की कीमत होती है, लेकिन राष्ट्र की सुरक्षा उससे कहीं बड़ी है।"

उन्होंने यह भी कहा कि आदर्श स्थिति में दुनिया बिना सीमाओं और देशों की हो सकती है, लेकिन मौजूदा वैश्विक हालात में यह सोच व्यावहारिक नहीं है। यह अच्छा होता अगर दुनिया में कोई सीमा न होती, लेकिन हम अभी उस स्तर पर नहीं हैं। अचानक यह मान लेना कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, एक अव्यावहारिक सोच है।

सद्गुरु ने दोहराया कि यह विसंगति केवल 78 साल पुरानी है और इसमें सुधार अब भी संभव है। 'हाथी की गर्दन को संभालना आसान होता है,' कहते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर को मजबूत करना समय की मांग है।

गौरतलब है कि सद्गुरु पहले भी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा, मंदिरों के विनाश और जनसांख्यिकीय दबाव को लेकर चिंता जता चुके हैं।

Point of View

जिसे सुधारने की आवश्यकता है। ऐसा कदम उठाना आवश्यक है, जो देश की संप्रभुता को सुरक्षित रख सके।
NationPress
29/12/2025

Frequently Asked Questions

सिलीगुड़ी कॉरिडोर क्या है?
सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बाकी भारत से जोड़ने वाला एक संकीर्ण भू-भाग है।
सद्गुरु ने इसे क्यों 78 साल पुरानी विसंगति कहा?
उन्होंने इसे भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप उत्पन्न विसंगति के रूप में देखा है, जिसे सुधारने का अवसर 1971 में था।
सद्गुरु का इस मुद्दे पर क्या कहना है?
सद्गुरु का मानना है कि इस कॉरिडोर को मजबूत करना राष्ट्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
क्या दुनिया में सीमाएं होनी चाहिए?
सद्गुरु के अनुसार, आदर्श स्थिति में सीमाएं नहीं होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान वैश्विक हालात इसे व्यवहारिक नहीं बनाते।
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति पर उनका क्या कहना है?
सद्गुरु ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा और जनसांख्यिकीय दबाव को लेकर चिंता जताई है।
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