क्या गोवा के आप वर्किंग प्रेसिडेंट ने दिया इस्तीफा, पार्टी की रणनीति गलत है?

सारांश
Key Takeaways
- राजेश कलंगुटकर का इस्तीफा पार्टी की रणनीति पर असहमति को दर्शाता है।
- आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय ले चुकी है।
- इस निर्णय से विपक्ष की एकता में दरार आ सकती है।
गोवा, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। गोवा में आगामी विधानसभा चुनाव के नजदीक आम आदमी पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। आप के गोवा वर्किंग प्रेसिडेंट राजेश कलंगुटकर ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी के अकेले गोवा विधानसभा चुनाव लड़ने के निर्णय पर असहमति व्यक्त करते हुए यह कदम उठाया।
कलंगुटकर का मानना है कि इस फैसले से विपक्ष की एकता में दरार आएगी और इसका सीधा लाभ सत्ताधारी भाजपा (BJP) को होगा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हाल ही में चार दिन के दौरे पर गोवा आए थे। इस दौरे के दौरान, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि कांग्रेस या अन्य स्थानीय दलों के साथ पार्टी का कोई गठबंधन नहीं होगा। पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। कलंगुटकर ने कहा कि केजरीवाल का यह निर्णय विपक्ष को कमजोर करेगा और जनता के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न करेगा। यदि विपक्ष एकजुट नहीं हुआ, तो भाजपा को फिर से सत्ता में आने से रोकना संभव नहीं होगा।
कलंगुटकर ने आगे कहा कि गोवा की जनता बदलाव चाहती है, लेकिन विपक्षी दलों के बीच मतभेद और अलग-अलग चुनाव लड़ने की नीति से वोट बैंक विभाजित हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कई कांग्रेस नेता पहले से ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं, जिससे जनता का भरोसा डगमगा रहा है। यदि आम आदमी पार्टी अकेले मैदान में उतरती है, तो यह भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगा।
उन्होंने कहा कि यदि आम आदमी पार्टी, भाजपा को लक्ष्य बनाने के बजाय अन्य विपक्षी दलों पर हमलावर रहेगी, तो इससे कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आप की रणनीति सही नहीं है। इसे भाजपा के वोट बांटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, तभी सत्ता परिवर्तन संभव होगा, क्योंकि 2027 के चुनाव में जनता बदलाव चाहती है।
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने इस निर्णय को संगठन की आंतरिक चर्चा और रणनीतिक निर्णय बताया है। पार्टी के प्रवक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसके कई विधायक पहले भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में गठबंधन करना गोवा की जनता के साथ अन्याय होगा।