क्या गोपाष्टमी पर गोशाला में दान करना चाहिए? गोमाता की सेवा से मिलती है भगवान श्रीकृष्ण की कृपा
सारांश
Key Takeaways
- गोपाष्टमी पर गायों की पूजा का महत्व है।
- गायों को स्नान कराकर सजाना चाहिए।
- गोपाष्टमी पर दान करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
- आडल योग के कारण शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
- भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी और आडल योग का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की पूजा एक साथ की जाती है।
द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा मकर राशि में होंगे। इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12:05 से 1:28 बजे तक रहेगा।
गोपाष्टमी का उल्लेख पद्म और भागवत पुराण में मिलता है, जिसमें कहा गया है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण ने पहली बार गाय चराने का कार्य आरंभ किया था। यह पर्व मुख्य रूप से मथुरा, वृंदावन और ब्रज में मनाया जाता है, जहां गायों और बछड़ों की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि गायें श्री कृष्ण की प्रिय हैं।
ब्रज में इस तिथि को गायों को स्नान कराकर सजाया जाता है। गोपाष्टमी पर गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान किया जाता है, साथ ही उन्हें गुड़ और चारा खिलाकर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है।
यह पर्व हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है और इसका महत्व भगवान श्री कृष्ण के गो चरण से जुड़ा है।
इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए जातक सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजन का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल को गाय के गोबर, फूलों, दीपक और रंगोली से सजाएं। भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी गौमाता को स्नान कराकर उनके सींगों पर हल्दी, कुमकुम और फूलों की माला पहनाएं। भोग में गुड़, हरा चारा, गेहूं और फल अर्पित करें।
अंत में उनकी आरती और परिक्रमा करें। आप चाहें तो 'गोमाता की जय' और 'गोपाल गोविंद जय जय' जैसे मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
आडल योग, ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है। इसका निर्माण नवरात्रि के पहले दिन साल 2022 में हुआ था। इसे शुभ कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता और इस दिन शुभ कार्य करना भी वर्जित है।