क्या विजय अमृतराज ने पेस और भूपति से पहले वैश्विक स्तर पर टेनिस में देश का झंडा बुलंद किया?
सारांश
Key Takeaways
- विजय अमृतराज ने भारतीय टेनिस को वैश्विक मान्यता दिलाई।
- उन्होंने 1973 में अपने करियर की शुरुआत की।
- अंतरराष्ट्रीय टेनिस हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पहले एशियाई।
- उनका करियर जीत-हार का रिकॉर्ड 405-312 रहा।
- उन्होंने 1983 में पद्मश्री प्राप्त किया।
नई दिल्ली, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब भी भारत में टेनिस का नाम लिया जाता है, तो हमारे मन में लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा जैसे प्रसिद्ध नाम आते हैं। निश्चित रूप से इन खिलाड़ियों ने देश में टेनिस को एक नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन जिन खिलाड़ियों ने इस खेल के प्रारंभिक काल में अपनी मेहनत से इसे बढ़ावा दिया, उनमें विजय अमृतराज का नाम सबसे प्रमुख है।
विजय अमृतराज का जन्म 14 दिसंबर 1953 को चेन्नई में हुआ था। बचपन से ही टेनिस में रुचि रखने वाले अमृतराज ने 17 वर्ष की आयु में 1970 में अपना पहला ग्रैंड प्रिक्स इवेंट खेला। 1973 में उन्होंने एकल में अपनी पहली सफलता प्राप्त की। वह लगातार दो ग्रैंड स्लैम इवेंट्स के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे। विंबलडन में, वह अंतिम चैंपियन जान कोडेश से पांच सेटों में हार गए। वहीं यूएस ओपन में उन्हें केन रोजवेल से हार का सामना करना पड़ा। 1979 में विंबलडन के दूसरे राउंड में वह गत चैंपियन बोर्ग से पराजित हुए। 1980 में वे एकल में दुनिया के 16वें नंबर के खिलाड़ी बने। यह उनकी करियर की सबसे ऊँची रैंकिंग रही। अमृतराज भारत डेविस कप टीम का हिस्सा रहे, जो 1974 और 1987 में फाइनल तक पहुँची। उनके सिंगल्स जीत-हार का रिकॉर्ड 405-312 रहा, जिसमें उन्होंने 15 सिंगल्स और 13 डबल्स खिताब जीते।
विजय ने 1993 में टेनिस करियर को अलविदा कहा। टेनिस में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 1983 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह अंतरराष्ट्रीय टेनिस हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पहले एशियाई खिलाड़ी हैं। 2022 में उन्हें लंदन में टेनिस में उनके योगदान के लिए इंटरनेशनल टेनिस हॉल ऑफ फेम और इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन द्वारा भी सम्मानित किया गया।
संन्यास के बाद विजय अमृतराज वर्तमान में कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका में निवास करते हैं।
लिएंडर पेस और महेश भूपति ने अपने करियर में कई सफलताएँ प्राप्त की हैं, लेकिन विजय अमृतराज एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने एकल श्रेणी में उस समय सफलता प्राप्त की, जब टेनिस भारत में अपने विकास के प्रारंभिक चरण में था।