क्या गोरखपुर ने चेन्नई को पीछे छोड़कर देश का पहला अर्बन फ्लड मैनेजमेंट शहर बना दिया?

सारांश
Key Takeaways
- गोरखपुर ने जलभराव के लिए एक स्मार्ट समाधान विकसित किया है।
- यह सिस्टम 100 मिमी बारिश को संभालने में सक्षम है।
- रियल टाइम डेटा का उपयोग करके जलभराव को नियंत्रित किया जाता है।
- गोरखपुर अब आधुनिक और तकनीकी दृष्टि से सक्षम शहर बन गया है।
- यह प्रणाली अन्य नगर निगमों के लिए एक मॉडल बन गई है।
गोरखपुर, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एक समय था जब बारिश के मौसम में गोरखपुर शहर की सड़कों पर जलभराव एक सामान्य दृश्य था। हर साल जब मानसून आता था, तो बाढ़ और जलजमाव की स्थिति शहर की गति को रोक देती थी। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। गोरखपुर अब जलभराव के लिए नहीं, बल्कि देश के सबसे आधुनिक और तकनीक-संपन्न अर्बन फ्लड मैनेजमेंट के लिए प्रसिद्ध हो रहा है। जलभराव के संकट से निपटने के लिए गोरखपुर के अधिकारियों ने चेन्नई जाकर वहां के सिस्टम को समझा और फिर उसका बेहतर संस्करण गोरखपुर में विकसित किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार और गोरखपुर नगर निगम के संयुक्त प्रयासों से देश का पहला स्मार्ट अर्बन फ्लड मैनेजमेंट सेल (यूएफएमसी) यहां स्थापित किया गया है, जो बारिश की हर बूंद पर नजर रखता है। गोरखपुर नगर निगम का 20 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट न केवल जलभराव से राहत दिला रहा है, बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए एक नया मानक स्थापित कर रहा है।
अब गोरखपुर जलभराव के लिए नहीं, बल्कि ‘स्मार्ट समाधान’ के लिए चर्चा में है। गोरखपुर की भौगोलिक स्थिति कटोरे जैसी है, जिससे समाधान की आवश्यकता थी। गोरखपुर नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में कहा कि गोरखपुर शहर की भौगोलिक संरचना कटोरे जैसी है, जिसके चारों ओर नदियां हैं। तल कम होने के कारण बारिश का पानी यहां रुक जाता है। हमने एक ऐसा सिस्टम विकसित किया है जो 100 मिमी तक की बारिश को संभालने में सक्षम है।
अब यह ऑटोमैटिक पंपिंग सिस्टम से लैस है, जिसमें रियल टाइम डेटा के अनुसार पंप ऑन-ऑफ होते हैं। सोगरवाल ने बताया कि पहले जहां जलभराव 2 घंटे तक रहता था, अब वहां 1 घंटे में और जहां 1 घंटे लगता था, वहां 15 मिनट में पानी निकल रहा है। हमने 28 हॉटस्पॉट और 85 प्वाइंट चिन्हित किए हैं।
हाल ही में राष्ट्रपति के दौरे के दिन गोरखपुर में 90 मिमी बारिश हुई थी। फिर भी पूरे शहर में जलभराव की कोई स्थिति नहीं बनी। नगर आयुक्त ने बताया कि हमारी टीम ने पूर्वानुमान के आधार पर संवेदनशील स्थानों पर पंप, कर्मचारियों और सफाई टीमों को पहले ही तैनात कर दिया था।
नगर निगम भवन स्थित यूएफएमसी कंट्रोल रूम में रियल टाइम मॉनिटरिंग, वाटर लेवल सेंसर, जीपीएस टैग्ड ड्रेनेज और रेन गेज सिस्टम लगे हैं। इस बावत भी सोगरवाल से बातचीत हुई। उन्होंने बताया कि हमने हर नाले को टैप कर इनकी इन्वेंटरी तैयार की है। रेन गेज हर 4 किमी पर लगाया गया है, जो हर 15 मिनट पर हाइपर लोकल डेटा देता है। मास्टर प्लान 100 वर्षों के वर्षा आंकड़ों पर आधारित है। यह भारत का पहला फुल ऑपरेशनल अर्बन फ्लड सिस्टम है। अर्बन फ्लड मैनेजमेंट सेंटर की प्रभारी डॉ. सौम्या श्रीवास्तव बताती हैं कि यह यूपी ही नहीं, भारत का पहला पूरी तरह ऑपरेशनल और स्मार्ट फ्लड मैनेजमेंट सिस्टम है।
थोड़ी सी बारिश में जलभराव होना अब अतीत की बात हो चुकी है। उनके मुताबिक नेपाल की सीमा से सटे होने और तटीय नहीं होने के बावजूद गोरखपुर को चेन्नई जैसे शहरों के समकक्ष तकनीक से सुसज्जित किया गया है। गोरखपुर के महापौर मंगलेश श्रीवास्तव कहते हैं कि हमारे अधिकारियों ने चेन्नई और बेंगलुरु जाकर वहां के सिस्टम को समझा और फिर उसका बेहतर संस्करण गोरखपुर में लागू किया।
आज यह सिस्टम पूरे देश के लिए मॉडल बन गया है। भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यूपी के कई शहर जलभराव से जूझते हैं। ऐसे में गोरखपुर जैसा सिस्टम बाकी नगर निगमों के लिए आदर्श बन सकता है। रियल टाइम डेटा और तकनीकी के उपयोग से फ्लड रिस्पॉन्स अब तेज और प्रभावी हो चुका है।