क्या जीएसटी 2.0 से टेक्सटाइल और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को मिलेगा बड़ा बूस्ट?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी 2.0 से टेक्सटाइल और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में सुधार होगा।
- लागत में कमी और अफोर्डेबिलिटी में सुधार।
- मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए परिधान किफायती होंगे।
- लॉजिस्टिक्स लागत में कमी से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
- सरकार का उद्देश्य रोजगार को बनाए रखना है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी 2.0 के तहत वस्तु एवं सेवा कर को युक्तिसंगत बनाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुधार है जिसका प्रमुख उद्देश्य संरचनात्मक विसंगतियों को समाप्त करना, लागत को कम करना और टेक्सटाइल एवं लॉजिस्टिक्स उद्योगों में मांग को बढ़ावा देना है, जो कि घरेलू विकास, रोजगार और निर्यात प्रतिस्पर्धा के लिए बेहद आवश्यक हैं। यह जानकारी सरकार द्वारा गुरुवार को साझा की गई।
सरकार ने बताया कि पूरी वैल्यू चेन में कर दरों को एक समान करने से, जीएसटी सुधार उपभोक्ताओं के लिए अफोर्डेबिलिटी को सुनिश्चित करता है, श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोजगार बनाए रखता है और भारत की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को बढ़ाता है। कपड़ा क्षेत्र में, यह युक्तिकरण विसंगतियों को कम करके, परिधानों की अफोर्डेबिलिटी में सुधार लाएगा, खुदरा मांग को पुनर्जीवित करेगा और निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।
जीएसटी में कमी से मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए परिधान अधिक किफायती हो जाएंगे, जिससे घरेलू मांग में वृद्धि होगी और छोटे शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
सरकार ने 2,500 रुपए तक के रेडीमेड परिधानों पर अब जीएसटी 5 प्रतिशत कर दिया है।
बयान के अनुसार, मानव निर्मित रेशों और धागों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर हटा दिया गया है और लघु एवं मध्यम उद्यमों को मजबूती मिली है, जबकि कालीनों और अन्य कपड़ा फर्श कवरिंग पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी।
इसी प्रकार, वाणिज्यिक माल वाहनों पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
कम लॉजिस्टिक्स लागत का व्यापक प्रभाव समग्र मूल्य दबाव को कम करने और मुद्रास्फीति को घटाने में मदद करता है। इसके अलावा, कम लॉजिस्टिक्स लागत भारतीय वस्त्रों को विदेशों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती है।
कपड़ा और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में जीएसटी का युक्तिकरण भारत के विनिर्माण आधार को मजबूत करने, अफोर्डेबिलिटी में सुधार लाने और निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। संरचनात्मक विसंगतियों और लागत दबाव को कम करके, ये सुधार उपभोक्ताओं, छोटे व्यवसायों और निर्यातकों सभी को समान रूप से लाभान्वित करते हैं।