क्या जीएसटी के नाम पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ?

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क्या जीएसटी के नाम पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ?

सारांश

ग्रेटर नोएडा पुलिस ने जीएसटी चोरी और फर्जी आईटीसी क्लेम के तहत करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरफ्तार किए गए प्रवीन कुमार और सतेंद्र सिंह के पास से कई फर्जी दस्तावेज मिले हैं। यह मामला नॉर्थ इंडिया में फैले संगठित अपराध का हिस्सा है।

Key Takeaways

  • गिरोह ने 6 फर्जी फर्में खोलीं।
  • पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
  • सरकार को 51 करोड़ का टैक्स नुकसान।
  • फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया।
  • गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों में फैला।

ग्रेटर नोएडा, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ग्रेटर नोएडा के थाना बिसरख पुलिस ने जीएसटी चोरी और फर्जी आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) क्लेम के माध्यम से सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों, प्रवीन कुमार और सतेंद्र सिंह, को गिरफ्तार किया है। इनके पास से फर्जी सील, मोहरें, आधार कार्ड, चेकबुक और खाता खोलने के फार्म सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं।

पुलिस की जांच से यह सामने आया कि इस गिरोह ने बैंक ऑफ इंडिया की विभिन्न शाखाओं में फर्जी दस्तावेजों की सहायता से 6 फर्में खोलीं। इन फर्मों के नाम में रिद्धि सिद्धि एंटरप्राइजेज, भवानी इम्पेक्स, झलक एंटरप्राइजेज, गौरव एंटरप्राइजेज, दामिनी इंडिया इंटरनेशनल और राधिका एंटरप्राइजेज शामिल हैं। इन फर्मों के लिए फर्जी आधार, पैन कार्ड और रेंट एग्रीमेंट तैयार किए गए थे। एक ही आरोपी की फोटो को अलग-अलग नाम और पते पर लगाया गया, ताकि पहचान मुश्किल हो सके और बिना किसी दिक्कत के बैंक खाते खोले जा सकें।

इन खातों के जरिए जीएसटी रिफंड के नाम पर अवैध तरीके से करोड़ों रुपए का स्थानांतरण किया गया। कुल मिलाकर इन 6 फर्मों से 3 करोड़ 42 लाख से भी अधिक की राशि ट्रांसफर की गई। पुलिस की निगरानी में यह पता चला कि गिरोह 9 अलग-अलग मोबाइल नंबरों से ओटीपी और वेरिफिकेशन कर रहा था, जो 18 आईएमईआई नंबरों पर चल रहे थे। इन नंबरों से 85 फर्जी फर्मों का रजिस्ट्रेशन मिला और पिछले पांच वर्षों में लगभग 350 करोड़ रुपए के फर्जी बिल जारी किए गए।

इससे सरकार को करीब 51 करोड़ रुपए का टैक्स नुकसान बताया जा रहा है। गिरोह का पूरा कामकाज व्हाट्सएप कॉलिंग और ईमेल के माध्यम से किया जाता था, ताकि फोन कॉल की लोकेशन और रिकॉर्ड को ट्रेस करना संभव न हो। फर्मों के रजिस्टर्ड पते पर सत्यापन करने पर कोई मौजूद नहीं मिला और सभी दस्तावेज कूटरचित पाए गए।

पुलिस ने फर्जी फर्मों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है और अन्य खातों की जांच जारी है। पुलिस को संदेह है कि इस गिरोह का नेटवर्क नॉर्थ इंडिया सहित कई राज्यों में फैला हुआ है और इनके कई साथियों की तलाश अभी बाकी है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान प्रवीन कुमार, जो हापुड़ के निवासी हैं और सतेंद्र सिंह, जो बुलंदशहर के निवासी हैं, के रूप में हुई है। दोनों पिछले कई वर्षों से इस धोखाधड़ी में शामिल बताए जा रहे हैं।

Point of View

NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

इस गिरोह ने कितनी फर्में खोली थीं?
गिरोह ने कुल 6 फर्में खोली थीं।
पुलिस ने कितने आरोपियों को गिरफ्तार किया है?
पुलिस ने 2 आरोपियों, प्रवीन कुमार और सतेंद्र सिंह, को गिरफ्तार किया है।
इस धोखाधड़ी से सरकार को कितना टैक्स नुकसान हुआ?
सरकार को लगभग 51 करोड़ रुपए का टैक्स नुकसान हुआ है।
गिरोह का कामकाज कैसे किया जाता था?
गिरोह का कामकाज व्हाट्सएप कॉलिंग और ईमेल के जरिए किया जाता था।
पुलिस ने क्या कार्रवाई की है?
पुलिस ने फर्जी फर्मों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है और अन्य खातों की जांच कर रही है।
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