क्या गुजरात सरकार के राजस्व सुधारों ने सेवाओं की डिलीवरी को तेज किया?
सारांश
Key Takeaways
- सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण किया गया है।
- जन सेवा केंद्रों की स्थापना से नागरिकों को सुविधाएं मिल रही हैं।
- 17.9 लाख आवेदन निपटाए गए हैं।
- ड्रोन सर्वेक्षण से प्रॉपर्टी कार्ड वितरित हुए हैं।
- आईओआरए पोर्टल के माध्यम से सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं।
गांधीनगर, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में गुजरात में किए गए व्यापक राजस्व सुधारों ने आम जनता के लिए सरकारी सेवाओं की पहुँच को तेज, सरल और पारदर्शी बना दिया है। इन सुधारों के अंतर्गत तीन दर्जन से अधिक राजस्व सेवाओं का डिजिटलीकरण किया गया है, जिससे नागरिकों को घर बैठे सुविधाएं मिल रही हैं।
भूमि अभिलेखों, किसानों और शहरी निवासियों की भूमि जोतों का डिजिटलीकरण अब स्वामित्व संबंधी जानकारी को आसानी से उपलब्ध कराता है। इससे ज़मीन की बिक्री, हस्तांतरण और स्वामित्व में बदलाव के रिकॉर्ड को बनाए रखना भी सरल हो गया है।
राज्यभर में नागरिकों की सुविधा के लिए जन सेवा केंद्र (सिटीजन सर्विस सेंटर) स्थापित किए गए हैं, जहाँ लोग आसानी से अपने संपत्ति संबंधी दस्तावेज प्राप्त कर सकते हैं। गांधीनगर के जन सेवा केंद्रों पर पहुँचे कई नागरिकों ने मौजूदा सरकार के इन सुधारों की सराहना की और प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 से अब तक 17.9 लाख आवेदन निपटाए जा चुके हैं, 40 हजार से अधिक प्रश्नों का समाधान किया गया है, जबकि ड्रोन सर्वेक्षण के माध्यम से 11.52 लाख प्रॉपर्टी कार्ड वितरित किए गए हैं। उन्नत मैपिंग तकनीक के जरिए 3,990 हेक्टेयर से अधिक भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है।
राजस्व विभाग के आईओआरए पोर्टल और ई-धरा जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों को और अधिक सशक्त बनाया गया है, जिससे नागरिक भूमि रिकॉर्ड, म्यूटेशन और विभिन्न सरकारी विभागों से आवश्यक अनुमतियां आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
इस पहल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वंशानुक्रम रिकॉर्ड, गैर-कृषि भूमि की मंजूरी और भूमि मापन सहित 36 से अधिक राजस्व सेवाएं अब आईओआरए पोर्टल के माध्यम से घर बैठे उपलब्ध हैं।
इन पहलों से न केवल ईज ऑफ लिविंग में सुधार हुआ है बल्कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को भी मजबूती मिली है, जिससे गुजरात सुशासन का एक आदर्श मॉडल बनकर उभरा है।
राज्य में अत्याधुनिक तकनीक से भूमि मैपिंग के जरिए 3,990 हेक्टेयर से अधिक भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराते हुए लगभग 3,339 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन वापस ली गई है।
निस्संदेह, इन राजस्व सुधारों ने राज्य के विकास को नई गति दी है, ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स को मजबूत किया है और “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” के संकल्प को साकार किया है।