क्या गुजरात में 'वंदे मातरम@150' अभियान के तहत सीएम भूपेंद्र पटेल ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की शपथ दिलाई?
सारांश
Key Takeaways
- गुजरात में 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया गया।
- मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की शपथ दिलाई।
- कार्यक्रम में सामूहिक राष्ट्रगीत गाया गया।
- यह कार्यक्रम देश की एकता और संस्कृति को दर्शाता है।
- स्वदेशी वस्तुओं के महत्व पर जोर दिया गया।
वडोदरा, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के वडोदरा में शुक्रवार को 'वंदे मातरम' राष्ट्रगीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक भव्य उत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सामूहिक राष्ट्रगीत गाने और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की शपथ समारोह का आयोजन किया गया। 'वंदे मातरम @150' पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की शपथ दिलाई।
गुजरात विधानसभा में वंदे मातरम राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और विधानसभा अध्यक्ष शंकर भाई चौधरी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री के साथ गुजरात के सरकारी कर्मचारी और आईएएस सहित अन्य अधिकारियों ने 'वंदे मातरम' का गायन किया और स्वदेशी को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने की सामूहिक शपथ ली।
इसके साथ ही, मोती चेर स्थित बीएसएफ की 176वीं बटालियन में ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
कार्यक्रम के दौरान वंदे मातरम राष्ट्रगीत के साथ देशभक्ति की भावना को महसूस किया गया। उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी ने सीमा पर तैनात जवानों के समर्पण और साहस की प्रशंसा की।
उपमुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, "आज वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर सभी नागरिकों को बधाई। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, सभी लोग इस ऐतिहासिक मील के पत्थर के उपलक्ष्य में एक साथ आ रहे हैं।" उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के माध्यम से एकता का संदेश प्राप्त होता है। यह राष्ट्रगीत हमारे लिए गर्व का प्रतीक है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए एक बहुत बड़ा अवसर है। देश के हर राज्य में लोग आज शपथ ले रहे हैं, यह एक महत्वपूर्ण घटना है। वंदे मातरम एक ऐतिहासिक राष्ट्रगीत है, जिसने देश की आजादी के समय एकता का काम किया था।