क्या गुजरात के प्रतियोगिता आधारित शब्द खेलों ने छात्रों में भाषा सीखने के प्रति रुचि जगाई?
सारांश
Key Takeaways
- प्रतियोगिता आधारित शिक्षण से छात्रों में रुचि बढ़ती है।
- भाषा कौशल का विकास समग्र शैक्षणिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
- शब्दों की पहचान स्मार्ट बोर्ड पर की जाती है।
- जीतने वाली टीम को पुरस्कार मिलता है।
- शिक्षकों की सराहना इस पहल को और बल देती है।
छोटा उदेपुर, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के छोटा उदयपुर में युवा छात्रों की भाषा कौशल को सशक्त बनाने के लिए एक अनोखा और नवीन शिक्षण प्रयास आरंभ किया गया है। जाडियाना प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की शब्दावली में सुधार लाने के लिए 'चल भाईबंध शब्द भंडोल चेक करिये' नामक एक गतिविधि की शुरुआत की गई है। ज्ञान प्रदान करने का यह तरीका बेहद रोचक है।
विद्यार्थियों को पहले एक अक्षर दिया जाता है, और फिर उन्हें उस अक्षर से शुरू होने वाले अधिकतम शब्द खोजने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह गतिविधि एक दोस्ताना प्रतियोगिता के रूप में तैयार की गई है, ताकि बच्चे खेल-खेल में नए शब्द सीख सकें। यही कारण है कि विद्यालय में बच्चों के लिए भाषा सीखना तनावपूर्ण होने के बजाय आनंददायक बन जाता है। वे सभी शब्दों को सीखते हुए आनंद लेते हैं।
विद्यार्थियों द्वारा पहचाने गए शब्दों को स्मार्ट बोर्ड पर लिखा जाता है ताकि सभी बच्चे उन्हें देख, पढ़ और एक साथ सीख सकें।
विद्यार्थियों का कहना है कि यह गतिविधि मनोरंजक और शिक्षाप्रद दोनों है, जिससे उन्हें नए शब्द सीखने में मदद मिलती है और उनकी रुचि भी बनी रहती है।
इस दैनिक गतिविधि के अंतर्गत, विद्यालय तीन-तीन विद्यार्थियों की दो टीमें बनाता है और नियमित रूप से प्रतियोगिता आयोजित करता है। शिक्षकों का कहना है कि इस तरीके से विद्यार्थियों का आत्मविश्वास काफी बढ़ा है और उनकी शब्दावली मजबूत हुई है। बच्चे अब खुलकर अपनी बात कह पा रहे हैं और नए शब्द सीखने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं।
शिक्षकों और प्रधानाचार्य ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की संवादात्मक विधियां प्राथमिक शिक्षा में विशेष रूप से प्रभावी होती हैं। उनका मानना है कि कम उम्र में भाषा का विकास समग्र शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यह गतिविधि इस दिशा में एक ठोस कदम साबित हो रही है।
छात्रा प्रियंका राठवा ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि नए शुरू किए गए अंताक्षरी शैली के इस शिक्षण खेल में भाग लेकर उनकी शब्दावली में सुधार हुआ है। राठवा ने कहा कि उसे यह गतिविधि बहुत पसंद है। छात्रों को टीमों में बांटा जाता है और जीतने वाली टीम को पुरस्कार के रूप में पेंसिल और इरेजर मिलते हैं।
इसी बीच, स्कूल की एक शिक्षिका दिव्याबेन छाबरिया ने कहा कि इस पहल के माध्यम से छात्रों को एक स्वस्थ और प्रतिस्पर्धी माहौल में नए शब्द सीखने और अपनी शब्दावली को मजबूत करने का अवसर दिया जा रहा है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य धर्मेंद्र भाई पटेल ने बताया कि विद्यार्थियों की नए शब्दों में रुचि बढ़ाने के लिए, शब्द प्रतियोगिताओं और अंताक्षरी जैसी गतिविधियों पर आधारित एक मोबाइल एप्लिकेशन भी विकसित किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि यह ऐप बच्चों को कक्षा के बाहर भी शब्दावली का अभ्यास करने में मदद करता है, जिससे सीखना निरंतर और रोचक बना रहता है।