क्या गुजरात सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं?

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क्या गुजरात सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं?

सारांश

गुजरात सरकार की योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया है। ये महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अपनी आजीविका चला रही हैं और सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। जानें कैसे ये योजनाएं उनके जीवन में बदलाव ला रही हैं।

Key Takeaways

  • महिलाओं का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है।
  • स्वयं सहायता समूह आर्थिक विकास में सहायक हैं।
  • सरकार की योजनाओं से प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता मिलती है।
  • आत्मनिर्भरता से महिलाएं सामाजिक बदलाव ला सकती हैं।
  • स्थानीय उत्पादों का विकास भी हो रहा है।

अरवल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महिलाओं के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, गुजरात सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं।

गुजरात के अरवल्ली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों में शामिल ये महिलाएं आज एक उदाहरण बन गई हैं कि महिला केंद्रित योजनाओं के माध्यम से जीवन में कैसे सकारात्मक परिवर्तन किया जा सकता है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ट्राइबल एरिया सब प्लान, मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं के तहत इन महिलाओं को आत्मनिर्भरता के लिए प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, वहीं उनके उत्पादों की बिक्री में भी सहयोग दिया जा रहा है।

मेघरज तालुका के बाठीवाड़ा गांव में दशामा सखी मंडल की महिलाओं को पतंग बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है, और अब ये समूह की सदस्य पतंग बनाकर आजीविका कमा रही हैं।

दशामा सखी मंडल की सदस्य ज्योत्सनाबेन परमार ने कहा कि सखी मंडल के द्वारा उन्हें पतंग निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है, जिससे वे अपनी आजीविका चला रही हैं।

वालुणा गांव में कमलाबेन डामोर 'साहस किसान आत्मा प्रोजेक्ट' के तहत जैविक खेती और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके फसलों के परंपरागत बीजों का संरक्षण कर रही हैं। इस महिला समूह को सरकार द्वारा ग्रीनहाउस और बीज भंडारण के लिए स्टोर भी उपलब्ध कराया गया है।

कमलाबेन डामोर ने बताया कि वे प्राकृतिक खेती कर रही हैं और उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।

इसी तरह, शिवशक्ति ग्राम संगठन नामक एक अन्य महिला स्वयं सहायता समूह स्थानीय उत्पादों से देसी अचार, पापड़ और विभिन्न प्रकार के चिप्स बनाने का व्यवसाय कर रहा है। अरवल्ली में लगभग ८००० महिला एसएचजी हैं, जिनमें से करीब ५००० महिला समूह सक्रिय हैं। जिला ग्रामीण विकास एजेंसी और तालुका के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर गांवों में कैम्प लगाकर इन समूहों की महिलाओं को प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता दी जाती है।

जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के निदेशक राजेशभाई कुचारा ने बताया कि समय-समय पर कैम्प लगाकर महिलाओं को प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाती है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में चल रही योजनाओं से सक्षम और आत्मनिर्भर बन रहीं ग्रामीण महिलाओं की सफलता प्रेरणादायक है।

गुजरात की लाखों ग्रामीण महिलाएं, जो पहले आर्थिक रूप से दूसरों पर निर्भर थीं, अब अपनी मेहनत और हौसले से न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि अपने परिवार के लिए भी सहारा बन रही हैं।

Point of View

बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भी महत्वपूर्ण हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ऐसी योजनाएं अन्य राज्यों में भी अपनाई जाएं जिससे सभी महिलाएं सशक्त हो सकें।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

गुजरात सरकार की कौन-कौन सी योजनाएं महिलाओं के लिए हैं?
गुजरात सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ट्राइबल एरिया सब प्लान, और मनरेगा जैसी योजनाएं चला रही है।
स्वयं सहायता समूह क्या हैं?
स्वयं सहायता समूह (SHG) ऐसी छोटी समूह होते हैं जहां महिलाएं मिलकर आर्थिक गतिविधियों में भाग लेती हैं और अपने लिए आय का स्रोत बनाती हैं।
महिलाएं कैसे प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं?
महिलाएं जिला ग्रामीण विकास एजेंसी द्वारा आयोजित कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।
क्या यह योजनाएं केवल ग्रामीण महिलाओं के लिए हैं?
हालांकि मुख्य रूप से ये योजनाएं ग्रामीण महिलाओं के लिए हैं, लेकिन शहरी महिलाओं के लिए भी कुछ योजनाएं उपलब्ध हैं।
क्या ये योजनाएं आर्थिक सहायता भी प्रदान करती हैं?
हाँ, ये योजनाएं महिलाओं को वित्तीय सहायता और व्यवसाय स्थापित करने के लिए मदद प्रदान करती हैं।
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