क्या हुमायूं कबीर के राजनीतिक दल बनाने से भाजपा पर कोई असर पड़ेगा? विधायक पवन सिंह का जवाब
सारांश
Key Takeaways
- हुमायूं कबीर ने अपना राजनीतिक दल बनाया है।
- भाजपा का मुख्य मुद्दा हिंदुत्व है।
- पवन सिंह ने कहा कि इससे भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
- राजनीतिक दलों में रहते हुए अपनी बात खुलकर कहना मुश्किल होता है।
- भाजपा अपनी विचारधारा पर कोई समझौता नहीं करती है।
कोलकाता, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा विधायक पवन सिंह ने टीएमसी से बाहर किए गए हुमायूं कबीर द्वारा अपना राजनीतिक दल गठित करने के निर्णय का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इससे भाजपा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि हमारा मुख्य मुद्दा हिंदुत्व है, जबकि हुमायूं कबीर ने अपने समुदाय के मुद्दों को उठाने के लिए इस दल का गठन किया है।
उन्होंने बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि जब आप किसी दल से जुड़े होते हैं, तो आपको उसके नियमों का पालन करना पड़ता है। यदि आप नियमों की अवहेलना करते हैं, तो शीर्ष नेतृत्व द्वारा आपके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा, एक राजनीतिक दल में रहते हुए अपनी बात खुलकर रखने की स्वतंत्रता नहीं होती। इस स्थिति को देखते हुए, संभवतः हुमायूं कबीर ने अपना खुद का राजनीतिक दल बनाने की आवश्यकता महसूस की।
उन्होंने कहा कि हुमायूं कबीर को अपने समुदाय के मुद्दों को उठाने की पूरी स्वतंत्रता है और अब उन्होंने अपना एक दल बना लिया है, जहां वे अपनी बात खुलकर रख सकते हैं।
भाजपा विधायक पवन सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि हुमायूं कबीर के द्वारा नया राजनीतिक दल बनाने से भाजपा को कोई असर नहीं पड़ेगा। हमारा विचार बिल्कुल स्पष्ट है। हम हिंदुत्व की विचारधारा के साथ चलते हैं और इसके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करते हैं। भाजपा ने हमेशा हिंदुत्व को प्राथमिकता दी है। दूसरी ओर, हुमायूं कबीर ने अपने समुदाय के मुद्दों को उठाने के लिए इस दल का गठन किया है। इससे हमें राजनीतिक मोर्चे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा हिंदुत्व के बारे में ही सोचती है। हम दूसरे दलों की तरह नहीं हैं। दूसरे दलों की समस्या यह है कि उनके पास कोई स्थायी विचारधारा नहीं है। वे एक साथ कई विचारधाराओं को साधने की कोशिश करते हैं। लेकिन हमारा स्टैंड पूरी तरह से स्पष्ट है। हम इस पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते हैं। यदि किसी को लगता है कि भाजपा अपनी विचारधारा के साथ कोई समझौता करती है, तो यह उसकी गलतफहमी है।