क्या राहुल गांधी के मुंह से संविधान की बात अच्छी लगती है?
सारांश
Key Takeaways
- गुरु प्रकाश पासवान का बयान राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
- संविधान की रक्षा की बात करने वाले नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- राजनीतिक इतिहास वर्तमान राजनीति को प्रभावित करता है।
- टीएमसी के सदस्यों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए।
- संविधान के प्रति सभी को जागरूक रहना चाहिए।
पटना, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के उस बयान पर कड़ा जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने संविधान की सुरक्षा की बात की थी और कहा था कि संविधान संकट में है। पासवान ने कहा कि राहुल गांधी के मुंह से संविधान की बात सुनना विश्वसनीय नहीं लगता।
पटना में राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब वे संविधान की बात करते हैं, तो उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इमरजेंसी के समय आपकी पार्टी ने संविधान के मूल सिद्धांतों का खुला उल्लंघन किया था। मुझे समझ नहीं आता कि इस प्रकार का नज़रिया रखकर आप संविधान पर कैसे बात कर सकते हैं।
राहुल गांधी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए आयोजित डिनर पार्टी में आमंत्रित नहीं किए जाने और कांग्रेस सांसद शशि थरूर के शामिल होने पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राहुल का रवैया स्पष्ट है। वे 'भारत तोड़ो' शक्तियों के साथ खड़े हैं। मुझे लगता है कि इस तरह के मुद्दे उठाना पूरी तरह गलत है। राहुल गांधी भाजपा का विरोध करते-करते भारत का ही विरोध कर रहे हैं, इसे सहन नहीं किया जा सकता।
टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखने पर भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में, जहां कानून का राज है और संविधान सर्वोपरि है, टीएमसी के ऐसे सदस्य जो पहले ममता बनर्जी के साथ काम करते थे, अब असंवैधानिक और अवैध गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं। ये लोग जनता के बीच भ्रम पैदा कर रहे हैं और यह दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे कानून से ऊपर हैं। कल ही बाबासाहेब की पुण्यतिथि थी, और उसी दिन इस प्रकार की असंवैधानिक हरकत को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मैं कानून-व्यवस्था और प्रशासन से अपील करता हूं कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाए।