क्या ईडी की बड़ी कार्रवाई से गुवाहाटी में प्रिंटिंग हाउस के मालिक प्रियांशु बोइरागी भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार हुए?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी की कार्रवाई से भ्रष्टाचार के मामले में नए तथ्य सामने आए हैं।
- प्रियांशु बोइरागी का संबंध असम के श्रमिक कल्याण कोष से है।
- सरकारी धन के हड़पने के गंभीर आरोप हैं।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
- इस मामले में और भी जांच जारी है।
गुवाहाटी, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ईडी के गुवाहाटी जोनल ऑफिस ने 18 दिसंबर को मेसर्स पूर्वाश्री प्रिंटिंग हाउस, गुवाहाटी के मालिक प्रियांशु बोइरागी के निवास पर छापेमारी की और उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार किए गए प्रियांशु बोइरागी को विशेष न्यायालय (पीएमएलए), गुवाहाटी में पेश किया गया, जहां अदालत ने उन्हें पांच दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया है।
ईडी ने इस जांच को असम के मुख्यमंत्री के विशेष सतर्कता प्रकोष्ठ द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर प्रारंभ किया। यह एफआईआर आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी। ये अपराध पीएमएलए की अनुसूची के भाग ‘ए’ में शामिल हैं।
एफआईआर में आरोप है कि मेसर्स पूर्वाश्री प्रिंटिंग हाउस के मालिक प्रियांशु बोइरागी ने चोहन डोले, आईएएस (तत्कालीन सदस्य सचिव, असम भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड), गौतम बरुआ (तत्कालीन अध्यक्ष, असम भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड) और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर श्रम कल्याण उपकर के रूप में जमा सरकारी धन को धोखाधड़ी से हड़पने की साजिश की।
असम भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड द्वारा भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 के तहत एकत्र किया गया श्रम कल्याण उपकर (आमतौर पर निर्माण लागत का 1 प्रतिशत) एक अलग कल्याण कोष है। इसका उद्देश्य पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा और कल्याण सुविधाएं प्रदान करना है।
इस राशि का उपयोग दुर्घटना और मृत्यु सहायता, इलाज, मातृत्व लाभ, पेंशन, श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा, अंतिम संस्कार सहायता और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाता है। आरोप है कि इस घोटाले में शामिल लोगों ने समाज के सबसे गरीब वर्ग के लिए तय धन को हड़प लिया और उसकी मनी लॉन्ड्रिंग की।
वित्त वर्ष 2013-14, 2014-15 और 2015-16 के दौरान, प्रियांशु बोइरागी को फर्जी और जाली निविदा प्रक्रियाओं के जरिए कुल 121.05 करोड़ रुपए के प्रिंटिंग अनुबंध दिए गए। इनमें से असम भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड ने मेसर्स पूर्वाश्री प्रिंटिंग हाउस को 118.55 करोड़ रुपए का भुगतान किया।
ईडी के अनुसार, इस राशि का बड़ा हिस्सा प्रियांशु बोइरागी ने तुरंत अपनी निजी एफडी में डाल दिया या फिर दिल्ली की कई शेल कंपनियों के जरिए घुमा दिया, ताकि अपराध से कमाए गए पैसे का पता लगाना मुश्किल हो जाए।
तलाशी के दौरान ईडी ने पीएमएलए के तहत आपत्तिजनक दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और एक ऑडी कार भी जब्त की है। ईडी ने बताया कि इससे पहले इस मामले में पीएमएलए की धारा 5(1) के तहत 34.03 करोड़ रुपए की एफडी और बैंक बैलेंस को अटैच किया गया था, जिसकी पुष्टि माननीय एडजुडिकेशन अथॉरिटी, पीएमएलए ने की थी।