क्या भाजपा की लड़ाई कर्नाटक और कांग्रेस की लड़ाई केवल कुर्सी के लिए है?
सारांश
Key Takeaways
- बेंगलुरु में आवास संकट बढ़ रहा है।
- अवैध प्रवासियों को घर देने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।
- कर्नाटक में चुनाव से पहले एसआईआर आवश्यक है।
- राजनीतिक दलों के बीच कुर्सी का संघर्ष जारी है।
- स्थानीय लोगों की समस्याओं की अनदेखी हो रही है।
बेंगलुरु, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने कर्नाटक सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बेंगलुरु के विकास, आवास संकट और कथित अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए।
करंदलाजे ने कहा कि वर्षों से कर्नाटक और विशेषकर बेंगलुरु के लोग शहर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन आज भी बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के पास अपना घर नहीं है। इसके विपरीत, बिना रिकॉर्ड वाले बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोगों को घरों की चाबियां दी जा रही हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
शोभा करंदलाजे ने कहा, "कर्नाटक के लोग, बेंगलुरु के लोग, आज भी अपने घर के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें घर दिए जा रहे हैं। आखिर हमारे कर्नाटक में यह क्या हो रहा है? क्या यहां बांग्लादेशियों को घर देने की योजना है?"
उन्होंने इस पर राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से स्पष्ट जवाब मांगा।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि कर्नाटक में चुनाव से पहले एसआईआर तुरंत कराना आवश्यक है। यह जानना बेहद जरूरी है कि राज्य में कितने बांग्लादेशी रह रहे हैं, कितने लोगों को यहां लाया गया है, और किन-किन के नाम पर वोटर आईडी और आधार कार्ड बनाए गए हैं।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक चुनाव कराना उचित नहीं है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप पर बोलते हुए शोभा करंदलाजे ने कहा, "हमारी लड़ाई कर्नाटक के लिए है, कर्नाटक के लोगों के लिए है। वहीं, कांग्रेस की लड़ाई केवल कुर्सी के लिए है। कुर्सी बचाने और कुर्सी पकड़ने के लिए है।"
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया अपनी कुर्सी बचाना चाहते हैं, जबकि डीके शिवकुमार उसे पकड़ने की कोशिश में लगे हैं।