क्या 31 दिसंबर को जन्मा सन्नाटे का जादूगर 'एंथनी हॉपकिंस' अपने अभिनय से हमें हमेशा याद रहेगा?
सारांश
Key Takeaways
- एंथनी हॉपकिंस का जन्म 31 दिसंबर 1937 को हुआ।
- उन्होंने द साइलेंस ऑफ लैंब्स में यादगार किरदार निभाया।
- वे कला को कभी उम्र की मोहताज नहीं मानते।
- हॉपकिंस ने विविध किरदारों में खुद को साबित किया।
- वे आज भी सक्रिय हैं और कला में योगदान देते हैं।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नए साल के आगमन से जुड़ी 31 दिसंबर की तारीख का महत्व सिर्फ इस दिन के लिए नहीं है, बल्कि हॉलीवुड के इतिहास में एक अद्वितीय अभिनेता के जन्म के कारण भी है। 31 दिसंबर 1937 को वेल्स में जन्मे एंथनी हॉपकिंस ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने अभिनय को महज संवादों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि खामोशी, नज़र और भावनाओं के माध्यम से दर्शकों पर गहराई से छाप छोड़ी। नए साल की पूर्व संध्या पर जन्मा यह अभिनेता अपने करियर में ऐसे किरदार निभाता रहा जिन्हें सिनेमा कभी भुला नहीं पाएगा।
एंथनी हॉपकिंस का बचपन साधारण था। प्रारंभिक वर्षों में उनकी पढ़ाई में रुचि कम थी। लेकिन उनका अभिनय की ओर झुकाव धीरे-धीरे विकसित हुआ। उन्होंने रॉयल वेल्श कॉलेज ऑफ म्यूजिक एंड ड्रामा में प्रशिक्षण लिया और बाद में रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामैटिक आर्ट से जुड़े। उनके थिएटर के सफर ने उन्हें ब्रिटिश टीवी और फिर हॉलीवुड तक पहुंचा दिया। शुरुआत में वे गंभीर और ऐतिहासिक किरदारों के लिए जाने गए, लेकिन उनकी असली पहचान 1991 में आई फिल्म 'द साइलेंस ऑफ लैंब्स' से मिली।
इस फिल्म में निभाया गया उनका किरदार “हैनिबल लेक्टर” सिनेमा के इतिहास का एक सबसे डरावना और यादगार पात्र है। दिलचस्प बात यह है कि इस फिल्म में एंथनी हॉपकिंस का स्क्रीन टाइम सीमित था, फिर भी उनकी उपस्थिति इतनी प्रभावशाली थी कि दर्शक आज भी उस किरदार को नहीं भूल पाए। इसी भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर मिला, और वे रातों-रात हॉलीवुड के शीर्ष कलाकारों में शामिल हो गए।
हॉपकिंस की विशेषता यह रही कि उन्होंने खुद को एक ही तरह के किरदारों में सीमित नहीं रखा। 'द रिमेंस ऑफ द डे' में उनका संयमित और भावनात्मक अभिनय हो, 'निक्सन' में एक शक्तिशाली राजनीतिक व्यक्तित्व, या 'अमिस्टैड' और 'लीजेंड्स ऑफ द फॉल' जैसी फिल्मों में गहराई से भरे किरदार—हर बार उन्होंने नए रूप में खुद को प्रस्तुत किया। बाद के वर्षों में थोर श्रृंखला में ओडिन के किरदार से उन्होंने नई पीढ़ी के दर्शकों में भी अपनी पहचान बनाई।
2021 में फिल्म 'द फादर' के लिए उन्हें दूसरा ऑस्कर मिला और वे यह पुरस्कार जीतने वाले सबसे उम्रदराज अभिनेता बने। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि सच्ची कला उम्र की मोहताज नहीं होती। आज भी एंथनी हॉपकिंस अभिनय, संगीत और लेखन में सक्रिय हैं और लगातार यह साबित करते हैं कि कला जीवन भर चलने वाली साधना है।