क्या 'हनी मैन' संजय चौधरी ने 50 हजार के लोन से 6 करोड़ की कमाई की?

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क्या 'हनी मैन' संजय चौधरी ने 50 हजार के लोन से 6 करोड़ की कमाई की?

सारांश

संजय चौधरी, जो 'हनी मैन' के नाम से मशहूर हैं, ने 50 हजार के लोन से मधुमक्खी पालन शुरू किया और आज 6 करोड़ रुपए की वार्षिक कमाई कर रहे हैं। उनके अनुभव से प्रेरित होकर, उन्होंने 30 लोगों को रोजगार भी दिया है। जानिए उनकी इस सफल यात्रा के बारे में।

Key Takeaways

  • संजय चौधरी ने 50 हजार के लोन से मधुमक्खी पालन शुरू किया।
  • उन्होंने 6 करोड़ रुपए की वार्षिक कमाई की।
  • लगभग 30 लोगों को रोजगार दिया।
  • कृषि वैज्ञानिक रामाशीष सिंह उनके मार्गदर्शक रहे।
  • बिहार में शहद उत्पादन बढ़ रहा है।

भागलपुर, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के भागलपुर जिले के नौगछिया अनुमंडल के बिहपुर प्रखंड के अमरपुर गांव के निवासी संजय चौधरी को पूरे देश में ‘हनी मैन’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कभी महज 50 हजार रुपए के लोन से मधुमक्खी पालन की शुरुआत की थी, और आज उनकी सालाना कमाई लगभग 6 करोड़ रुपए तक पहुँच गई है। इसके साथ ही, उन्होंने लगभग 30 लोगों को रोजगार भी दिया है।

हाल ही में, संजय चौधरी के घर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कदम रखा और उन्होंने उनके द्वारा तैयार किए गए ऑर्गेनिक शहद का स्वाद चखा। मंत्री ने कहा कि संजय चौधरी आत्मनिर्भर भारत की एक उत्तम मिसाल हैं। वे अब देश के सबसे बड़े मधु उत्पादकों में से एक बन चुके हैं। यह उनकी सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कृषि-केंद्रित नीतियों का फल है।

संजय चौधरी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि उन्हें शहद उत्पादन के लिए प्रेरणा बिहार सरकार के कार्यक्रम ‘कृषि वैज्ञानिक आपके द्वार’ से मिली। उन्होंने उसी समय किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत 50 हजार रुपए का लोन लिया और 50 बॉक्स खरीदकर लीची के बागान में रखे। कुछ ही समय में, उन्हें इस क्षेत्र में अच्छी आमदनी देखने को मिली, जिसके बाद उन्होंने इस व्यवसाय में पूरी तरह से उतरने का निर्णय लिया।

उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिक रामाशीष सिंह उनके मार्गदर्शक बने और उन्होंने उन्हें यह सलाह दी, 'आप नौकरी लेने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनें।' इसके बाद संजय चौधरी ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. मेवालाल चौधरी से तकनीकी प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता प्राप्त की।

सफलता के बाद, संजय चौधरी को बिहार के 38 जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों में मधुमक्खी पालन प्रशिक्षक के रूप में बुलाया गया। 2008 में, जब नीतीश सरकार ने कृषि रोड मैप की शुरुआत की, तब उन्हें 'प्रगतिशील किसान' के रूप में चयनित किया गया।

उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे उनका हौसला बढ़ता गया। उन्होंने तकनीक को अपनाया, गुणवत्ता पर ध्यान दिया और लोगों को इस क्षेत्र से जोड़ने की कोशिश की। आज, वे केवल खुद आत्मनिर्भर नहीं हैं, बल्कि दर्जनों परिवारों को भी रोजगार दे रहे हैं।

संजय चौधरी ने बताया कि आज बिहार शहद उत्पादन में देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन चुका है। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन और कृषि एक-दूसरे के पूरक हैं, जिससे किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि शहद उत्पादन और मधुमक्खी पालन से ‘विश्वकल्याण’ होता है, यह केवल एक आय का स्रोत नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और कृषि दोनों की रक्षा का माध्यम भी है।

Point of View

बल्कि उन्होंने अपने समुदाय के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा किए। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद यदि हम प्रयास करते रहें, तो सफलता अवश्य मिलेगी।
NationPress
05/11/2025

Frequently Asked Questions

संजय चौधरी ने मधुमक्खी पालन कब शुरू किया?
संजय चौधरी ने मधुमक्खी पालन की शुरुआत 50 हजार रुपए के लोन से की थी।
संजय चौधरी की वार्षिक कमाई कितनी है?
संजय चौधरी की वार्षिक कमाई लगभग 6 करोड़ रुपए है।
उन्होंने कितने लोगों को रोजगार दिया है?
उन्होंने लगभग 30 लोगों को रोजगार दिया है।
संजय चौधरी की प्रेरणा का स्रोत क्या था?
संजय चौधरी को 'कृषि वैज्ञानिक आपके द्वार' कार्यक्रम से प्रेरणा मिली।
बिहार में शहद उत्पादन की स्थिति क्या है?
बिहार शहद उत्पादन में देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन चुका है।