क्या आप एलर्जी से छुटकारा पाना चाहते हैं? जानें आयुर्वेद की प्रभावी जड़ी-बूटियों के बारे में
सारांश
Key Takeaways
- नीम की गिलोय का रस प्रभावी है।
- हरिद्रा खंड का सेवन लाभकारी है।
- योग से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- पंचकर्म की नस्य क्रिया उपयोगी है।
- धूल और धुएं से बचें।
नई दिल्ली, ५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। एलर्जी एक सामान्य समस्या बन चुकी है, जिससे आजकल लगभग हर दूसरा व्यक्ति प्रभावित है। जब हम किसी व्यक्ति के एलर्जी से पीड़ित होने की बात सुनते हैं, तो यह याद रखना जरूरी है कि हमारे शरीर को भी कुछ चीजों से एलर्जी हो सकती है। धूल, धुआं, फूलों का पराग, ठंडी और गर्म चीजें इसके प्रमुख कारण हैं। खासकर, बारिश के बाद की धूप एलर्जी की समस्या को और बढ़ा देती है। इससे लगातार छींकें, आंखों से पानी बहना और नाक बंद होने से सांस लेने में कठिनाई होती है।
एलर्जी के असली कारण का पता लगाना कठिन हो सकता है, लेकिन कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय बेहद प्रभावी साबित हुए हैं। जैसे, नीम की गिलोय का रस और हरिद्रा खंड चूर्ण का संयोजन पुरानी से पुरानी एलर्जी में भी राहत दिला सकता है। सुबह खाली पेट गुनगुना नींबू पानी पीने से शरीर में विटामिन-सी की कमी पूरी होती है, जिससे जुकाम-नजले के लक्षण कम होते हैं।
अदरक, काली मिर्च, तुलसी के पत्ते, लौंग और मिश्री से बनी हर्बल चाय भी काफी राहत देती है। इसके अलावा, नीम के पत्ते चबाने से फ्लू जैसे लक्षणों से भी बचाव होता है।
यदि एलर्जी बार-बार होती है, तो आयुर्वेदिक चूर्ण 'सितोपलादि' बेहद प्रभावी माना गया है। नमक वाले गुनगुने पानी से कुंजल और नेती क्रिया करने से शरीर का कफ दोष बाहर निकल जाता है और पुरानी एलर्जी में भी आराम आता है।
पंचकर्म की नस्य क्रिया भी एलर्जी के उपचार में अत्यधिक उपयोगी है, लेकिन इसे डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। नियमित योग करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे एलर्जी से प्राकृतिक रूप से बचाव होता है।
सावधानियों की बात करें तो एलर्जी से बचने के लिए धूल, धुएं और परागकणों से दूर रहना चाहिए। ठंडी या बहुत गर्म चीजों का सेवन कम करें और खटाई या अचार जैसी चीजों से परहेज रखें। कुछ दवाइयाँ जैसे एस्पिरिन या निमेसुलाइड भी एलर्जी को बढ़ा सकती हैं, इसलिए इन्हें सावधानी से लें।
एलर्जी और त्वचा रोगों के लिए सबसे प्रसिद्ध औषधि हरिद्रा खंड है। यह हल्दी, घी, दूध और कई जड़ी-बूटियों से मिलकर बनती है। घर पर बनी हरिद्रा खंड सबसे प्रभावी मानी जाती है। इसे सुबह-शाम २०-२५ ग्राम तक दूध के साथ लिया जा सकता है। जो लोग घर पर नहीं बना सकते, वे बाजार से चूर्ण रूप में उपलब्ध हरिद्रा खंड का सेवन कर सकते हैं। इसका नियमित सेवन शीतपित्त, खुजली और पुरानी एलर्जी में बहुत लाभदायक है।