क्या हर बार मुंबई आने पर हंसल मेहता को भय लगता है?

सारांश
Key Takeaways
- हंसल मेहता की चिंता मुंबई की स्थिति को दर्शाती है।
- कोलंबो को साफ और व्यवस्थित बताया गया है।
- जनसंख्या वृद्धि और अराजकता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
मुंबई, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म निर्देशक हंसल मेहता हाल ही में शूटिंग के सिलसिले में कोलंबो गए थे। वहां की यात्रा के दौरान उन्होंने महसूस किया कि भले ही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अस्थिर हो और राजनीतिक हलचल हो, लेकिन यह शहर साफ, अधिक व्यवस्थित और गरिमामयी है।
उन्होंने अपने विचारों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए लिखा, “जब भी मैं मुंबई आता हूं, मुझे डर लगता है, ना केवल गंदगी और अराजकता से, बल्कि इसके बिखरे हुए बुनियादी ढांचे और सामूहिक उदासीनता से। हम इसे बढ़ती जनसंख्या के कारण अनदेखा कर देते हैं। यह सच है, लेकिन यहां कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें बताया जाता है कि उन्हें बहुत कम उम्मीदें रखनी चाहिए, किसी चीज की मांग न करें और जो असामान्य है, उसे सामान्य मान लें।”
उन्होंने आगे लिखा, “यहां ऊंची इमारतें हैं, जिनकी कीमत शहर से भी अधिक है। शहर में केवल कूड़े से भरी हुई सड़कें, खुली नालियां और डिजाइनर ब्रांडिंग में लिपटी नागरिक उदासीनता है। यह एक ऐसा शहर है जो उपभोक्तावाद से ग्रस्त है, लेकिन अंदर से खोखला है। हम इस तरह कैसे जी सकते हैं? थके हुए, उदासीन, हार मान चुके, अराजकता को गर्व मानकर।”
हंसल मेहता ने यह भी कहा, “इसने मुझे सब कुछ दिया है, लेकिन जिनके पास सत्ता है, यह उनके हाथों में उलझी हुई है, जो इसे कभी भी सांस नहीं लेने देते। वे इसके सड़ने से लाभ उठाते हैं और इसे लचीलेपन का जामा पहनाते हैं।”
हंसल मेहता ने एक विदेशी महिला की पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी, जो गुरुग्राम में रहती हैं। महिला ने अपनी पोस्ट में लिखा था, “मेरे कई विदेशी मित्र फिर से यहां नहीं आना चाहते।”
महिला ने यह भी कहा कि इतने पॉश इलाके में रहने के बावजूद ऐसा लगता है कि हम एक युद्ध-नाशित क्षेत्र या विकासशील देश में रह रहे हैं।