क्या संसद में विद्यार्थियों की आवाज़ गूंजेगी? हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में छात्रों से बात की हुड्डा ने

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क्या संसद में विद्यार्थियों की आवाज़ गूंजेगी? हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में छात्रों से बात की हुड्डा ने

सारांश

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति कटौती और छात्रसंघ चुनाव बहाली की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे छात्रों को दीपेंद्र हुड्डा ने समर्थन दिया। उन्होंने छात्र हितों के लिए संघर्ष की आवश्यकता को उजागर किया और कहा कि यह आवाज संसद तक पहुंचेगी। जानें इस मुद्दे की गहराई में क्या है।

Key Takeaways

  • छात्रों का आंदोलन: छात्रवृत्ति कटौती और चुनाव बहाली की मांग।
  • हुड्डा का समर्थन: सांसद ने छात्रों के साथ अन्याय का विरोध किया।
  • भाजपा सरकार पर आरोप: लाठीचार्ज और अन्याय का आरोप।
  • छात्रसंघ चुनावों की आवश्यकता: लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा माना गया।
  • संघर्ष का महत्व: छात्रों को एकजुट होने की आवश्यकता।

हिसार, 14 जून (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) में छात्रवृत्ति में कटौती और छात्रसंघ चुनावों की बहाली की मांग को लेकर धरने पर बैठे छात्रों को कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने शनिवार को समर्थन दिया। वे धरनास्थल पर पहुंचे और छात्रों से चर्चा की, साथ ही लाठीचार्ज में घायल छात्रों का हालचाल भी जाना। इस दौरान, उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने छात्रों के साथ अन्याय किया है, और यह आवाज अब विश्वविद्यालय की सीमाओं से बाहर निकलकर देश की संसद तक पहुंचेगी।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि छात्रों की मांगें पूरी तरह से जायज़ हैं। छात्र शांति से अपनी बात रख रहे थे, लेकिन उन पर रात में बेरहमी से लाठियां चलाई गईं। उन्होंने कहा कि छात्रों पर जानलेवा हमले हुए हैं, जो कानून के अनुसार गंभीर अपराध है।

उन्होंने सरकार से मांग की कि दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और छात्रों को न्याय मिले। उन्होंने कहा कि या तो वाइस चांसलर को तुरंत बर्खास्त किया जाए या वे खुद इस्तीफा दें। जिस विश्वविद्यालय में आरएसएस की शाखाएं चल रही हों और स्थानीय लोगों को मिलने वाला आरक्षण समाप्त किया जा रहा हो, वहां छात्रों के हित सुरक्षित नहीं रह सकते।

हुड्डा ने सवाल उठाया कि जब दिल्ली में छात्रसंघ चुनाव हो सकते हैं, तो हरियाणा के विश्वविद्यालयों में क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि छात्रसंघ चुनाव लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं और छात्रों के हितों की रक्षा का सबसे बड़ा साधन हैं। अगर छात्रों की आवाज़ मजबूत होगी, तो उनके साथ अन्याय नहीं हो पाएगा।

छात्रों ने सांसद को बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रवृत्ति के नियमों में बदलाव कर 70 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए स्टाइपेंड को केवल शीर्ष 25 फीसदी छात्रों तक सीमित कर दिया है और मेरिट स्टाइपेंड के लिए न्यूनतम योग्यता ओजीपीए 7.0 से बढ़ाकर 7.5 कर दी गई है। इस फैसले से सैकड़ों छात्रों को नुकसान हुआ है, और यही कारण है कि वे शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे। हुड्डा ने इस तुगलकी फरमान को छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए इसे तुरंत रद्द करने की मांग की। उन्होंने छात्रों से अनुशासन, शांति और धैर्य से अपनी लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया।

इस दौरान, हिसार से सांसद जयप्रकाश भी छात्रों के समर्थन में पहुंचे और वाइस चांसलर पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यहां के कुलपति एबीवीपी का समर्थन कर रहे हैं। हम एचएयू को एबीवीपी, आरएसएस और वीएचपी का अड्डा नहीं बनने देंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि छात्रों पर लाठियां चलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और एफआईआर दर्ज की जाए। उन्होंने आश्वासन दिया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर सबसे पहले छात्रसंघ चुनाव बहाल किए जाएंगे।

Point of View

छात्रों का संघर्ष उनके अधिकारों के लिए है। यह मुद्दा केवल एक विश्वविद्यालय का नहीं, बल्कि पूरे देश के छात्रों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। संसद में छात्रों की आवाज़ का गूंजना लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

छात्रों ने धरना क्यों दिया?
छात्रों ने छात्रवृत्ति में कटौती और छात्रसंघ चुनाव की बहाली की मांग के लिए धरना दिया।
दीपेंद्र हुड्डा ने छात्रों को क्या आश्वासन दिया?
दीपेंद्र हुड्डा ने छात्रों के साथ अन्याय करने के खिलाफ उनकी आवाज को संसद में पहुँचाने का आश्वासन दिया।
वाइस चांसलर के खिलाफ क्या आरोप लगाए गए?
छात्रों ने आरोप लगाया कि वाइस चांसलर ने छात्रवृत्ति नियमों में बदलाव किया और छात्रहितों की अनदेखी की।
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