क्या मधुमक्खी पालन हरियाणा के बेरोजगार युवाओं और भूमिहीन किसानों के लिए आय का साधन बन सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- बेरोजगार युवाओं के लिए मधुमक्खी पालन एक उत्कृष्ट अवसर है।
- प्रशिक्षण के साथ-साथ अनुदान और लोन की सुविधा उपलब्ध है।
- हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी खरीद सुनिश्चित की गई है।
- मधुमक्खी पालन से आय में वृद्धि संभव है।
- किसानों के लिए मधुमक्खी पालन से खुदकुशी की दर में कमी आ सकती है।
नूंह, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के नूंह जिले में बेरोजगार युवाओं और उन किसानों के लिए जिनके पास अपनी जमीन नहीं है, मधुमक्खी पालन एक उत्कृष्ट आय का साधन बन सकता है। जिला बागवानी विभाग के अंतर्गत मधुमक्खी पालन योजना के तहत न केवल प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि भारी अनुदान, बैंक लोन में सहायता और सरकारी शहद खरीद की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। जिला बागवानी अधिकारी डॉ. अब्दुल रजाक ने यह जानकारी साझा की।
डॉ. अब्दुल रजाक ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेशभर में मधुमक्खी पालन के लिए 13 प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं, जिनमें केवीके मंडकोला, केवीके भूपानी और अन्य संस्थान शामिल हैं। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले युवाओं के लिए रहने, खाने और आने-जाने की व्यवस्था नि:शुल्क की गई है। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद युवाओं को बैंक लोन
उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के बाद एक लाभार्थी को 50 लकड़ी के बॉक्स उपलब्ध कराए जाते हैं, जिन पर लगभग 85 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। किसान को केवल 21,600 रुपए का अंशदान करना होता है। फैमिली आईडी, आधार कार्ड और प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के साथ रामनगर पहुंचते ही किसानों को मधुमक्खी के डिब्बे मिल जाते हैं। एक डिब्बे में 8 से 10 फ्रेम होते हैं और इसमें भी लगभग 85,000 रुपए की सहायता बागवानी विभाग द्वारा प्रदान की जाती है।
डॉ. रजाक के अनुसार, एक वर्ष में एक डिब्बे से औसतन 50 किलो शहद तैयार होता है। यदि 50 डिब्बों का आकलन किया जाए तो सालाना करीब 2,500 किलो शहद का उत्पादन संभव है। वर्तमान में जिले के पांच किसानों के पास लगभग 800 मधुमक्खी बॉक्स हैं, जिनसे प्रति वर्ष करीब 26,000 किलो शहद तैयार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने भावांतर भरपाई योजना में भी मधुमक्खी पालन को शामिल किया है। शहद निकालने की मशीन, डिब्बे, टोपी और अन्य उपकरणों की खरीद के लिए भी बागवानी विभाग सहायता करता है। यदि शहद की गुणवत्ता अच्छी होती है तो बाजार में 110 रुपए प्रति किलो से अधिक भाव मिल सकता है। यदि बाजार में खरीदार न मिले, तो शहद को ड्रम या बाल्टी में पैक कर रामनगर ले जाने पर 110 रुपए प्रति किलो की दर से सरकारी भुगतान किया जाता है।
डॉ. अब्दुल रजाक ने बताया कि तीन नए किसानों के मामले बनाकर हरियाणा सरकार को भेजे गए हैं, जबकि छह किसानों के केस पाइपलाइन में हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि इन दिनों नूंह जिले में सरसों का सीजन चल रहा है, जिसमें मधुमक्खियों से उच्च गुणवत्ता का शहद तैयार होता है। सरसों की फसल के बाद मधुमक्खी के डिब्बों को दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, जिसके लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा पूरी तरह मुफ्त रखी गई है। इससे युवाओं को अतिरिक्त लाभ मिलता है।
उन्होंने यह भी बताया कि जहां मधुमक्खी के डिब्बे रखे जाते हैं, उसके एक किलोमीटर के दायरे में सरसों या फलों की खेती को भी बड़ा फायदा होता है। मधुमक्खियां परागण करती हैं, जिससे फसलों की बीमारियां कम होती हैं और उत्पादन व गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है।
डॉ. रजाक ने मधुमक्खियों की कार्यप्रणाली की जानकारी देते हुए बताया कि रानी मक्खी तीन प्रकार के बच्चे पैदा करती है—सैनिक, निखट्टू और कमाऊ पूत। सैनिक डिब्बे की सुरक्षा करता है, निखट्टू बाहर जाकर वापस नहीं लौटता, जबकि कमाऊ पूत एक किलोमीटर दूर तक जाकर शहद इकट्ठा करता है और तेजी से उत्पादन बढ़ाता है।
मधुमक्खी पालक किसान तौफीक ने बताया कि उसने वर्ष 2003 में प्रशिक्षण लिया था और मधुमक्खी पालन से अपना भविष्य संवारा। यह एक बेहद लाभकारी कारोबार है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों की ओर से मदद मिलती है। इससे करीब सात लाख रुपए तक का मुनाफा संभव है। हरियाणा सरकार द्वारा शहद की खरीद शुरू किए जाने और भावांतर योजना लागू होने से अब बाजार की चिंता भी खत्म हो गई है।