क्या यश दयाल की गिरफ्तारी रोकने से हाईकोर्ट ने इनकार किया? अगली सुनवाई 22 अगस्त को

सारांश
Key Takeaways
- यश दयाल की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार।
- अगली सुनवाई 22 अगस्त को।
- पीड़िता नाबालिग होने के कारण गिरफ्तारी से नहीं मिल सकती राहत।
- यश दयाल के वकील ने इसे बदनाम करने की साजिश बताया।
- पुलिस ने आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया।
जयपुर, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की से कथित बलात्कार के मामले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के तेज गेंदबाज यश दयाल की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि पीड़िता नाबालिग है, इसलिए आरोपी क्रिकेटर को गिरफ्तारी से कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती।
इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुदेश बंसल ने केस डायरी तलब की और अगली सुनवाई की तारीख 22 अगस्त निर्धारित की।
सुनवाई के दौरान, यश दयाल के वकील कुणाल जैमन ने तर्क दिया कि यह मामला क्रिकेटर को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह का बलात्कार का एक मामला गाजियाबाद में दर्ज किया गया था, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
यश दयाल के वकील ने आरोप लगाया, "उस घटना के ठीक सात दिन बाद जयपुर में एक और एफआईआर दर्ज की गई। ऐसा लगता है कि इस तरह के मामलों को दर्ज कर ब्लैकमेल करने वाला कोई गिरोह सक्रिय है।"
हालांकि, सांगानेर थाना प्रभारी अनिल जैमन ने जयपुर मामले का विवरण साझा करते हुए बताया कि शिकायतकर्ता, जो घटना के समय नाबालिग थी, वह एक क्रिकेट कार्यक्रम के दौरान यश दयाल के संपर्क में आई थी।
इसके बाद, उसने यश दयाल पर लगभग दो साल पहले क्रिकेट में करियर बनाने में मदद के बहाने यौन शोषण का आरोप लगाया।
पुलिस के अनुसार, यश दयाल ने कथित रूप से आईपीएल 2025 सीजन के दौरान जयपुर के सीतापुरा स्थित एक होटल में युवती को अपने कमरे में बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
चूंकि पहली घटना के समय पीड़िता की उम्र 17 वर्ष थी, इसलिए इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के साथ-साथ 'पॉक्सो' एक्ट के तहत भी एफआईआर दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि दयाल दो साल पहले अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कथित तौर पर सांप्रदायिक सामग्री पोस्ट करने के कारण विवादों में रहे थे। हालांकि, बाद में उन्होंने सफाई दी थी कि वह पोस्ट उन्होंने खुद नहीं की थी।
राष्ट्र प्रेस
आरएसजी