क्या हिमाचल की वादियों में स्थित चमत्कारी मंदिर से होती हैं मनोकामनाएं पूरी?

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क्या हिमाचल की वादियों में स्थित चमत्कारी मंदिर से होती हैं मनोकामनाएं पूरी?

सारांश

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में स्थित माता टौणी देवी का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी इसे विशेष बनाती है। यहां भक्त पत्थरों को टकराकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। जानिए इस अद्भुत मंदिर की कथा और नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ के बारे में।

Key Takeaways

  • माता टौणी देवी का मंदिर लगभग 350 वर्ष पुराना है।
  • यह चौहान वंश की कुलदेवी का मंदिर है।
  • भक्त पत्थरों की टकराहट से मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
  • मंदिर का इतिहास मुगल साम्राज्य से जुड़ा है।
  • नवरात्रि के दौरान यहां भारी भीड़ होती है।

हमीरपुर, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित माता टौणी देवी का मंदिर आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यह मंदिर लगभग ३५० वर्ष पुराना है और चौहान वंश की कुलदेवी के रूप में पूजनीय है। नवरात्री के दौरान मंदिर में सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर का इतिहास मुगल साम्राज्य के समय से जुड़ा है। उस समय कुछ चौहान वंश के लोग धर्मांतरण से बचने के लिए राजस्थान से इस दुर्गम क्षेत्र में आए और माता टौणी देवी की शरण ली। उनकी श्रद्धा और आस्था की याद में इस मंदिर की स्थापना की गई।

मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भक्तजन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पिंडी के पास रखे दो पत्थरों को आपस में टकराते हैं। कहा जाता है कि माता टौणी देवी को सुनाई नहीं देता था, इसलिए श्रद्धालु अपनी इच्छाओं को पूरा कराने के लिए पत्थरों की आवाज के माध्यम से देवी का आह्वान करते हैं। ऐसा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंदिर परिसर में नवरात्र के दौरान विशेष उत्साह देखने को मिलता है। महिलाएं और पुरुष श्रद्धालु पत्थरों को टकराकर अपनी इच्छाओं को देवी के सामने रखते हैं। मंदिर कमेटी के सदस्यों के अनुसार, यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है और चौहान वंश के लोग इसे अपनी कुलदेवी के प्रति आस्था और सम्मान के रूप में मानते हैं।

स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु हर बार अपनी मन्नत पूरी होने का अनुभव करते हैं। यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि कैसे मुगल साम्राज्य के समय कठिन परिस्थितियों में भी लोगों ने अपनी आस्था और संस्कृति को बनाए रखा।

भौगोलिक दृष्टि से मंदिर हमीरपुर से १४ किलोमीटर की दूरी पर टौणीदेवी कस्बे में स्थित है और मंडी वाया अवाहदेवी नैशनल हाईवे-०३ के मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं का तांता इतना अधिक होता है कि दूर-दूर से आने वाले लोग सुबह से ही मंदिर परिसर में कतारों में खड़े रहते हैं।

Point of View

यह कहना उचित है कि माता टौणी देवी का मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास का भी प्रतीक है। मुगलों के समय में भी जब लोग अपनी आस्था को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब इस मंदिर ने उनके लिए एक सुरक्षित आश्रय प्रदान किया। यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
NationPress
25/09/2025

Frequently Asked Questions

माता टौणी देवी का मंदिर कहां स्थित है?
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में टौणीदेवी कस्बे में स्थित है।
इस मंदिर की खासियत क्या है?
यहां भक्त पत्थरों को टकराकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
क्या यह मंदिर ऐतिहासिक है?
जी हां, यह मंदिर लगभग 350 वर्ष पुराना है और मुगल साम्राज्य से जुड़ा हुआ है।
नवरात्रि के दौरान यहां कितनी भीड़ होती है?
नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जो सुबह से शाम तक मंदिर परिसर में रहती है।
मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कब है?
नवरात्रि के दौरान मंदिर जाना सबसे अच्छा समय है, जब विशेष उत्सव मनाए जाते हैं।