क्या एआई व्यवसायों को नया रूप दे रहा है? तरुण खन्ना

सारांश
Key Takeaways
- एआई व्यवसायों को नया आकार दे रहा है।
- शिक्षा में सुधार की आवश्यकता है।
- प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व प्रशंसा के योग्य है।
- नई त्रि-भाषा नीति बहु-भाषा ज्ञान को बढ़ावा देती है।
- तकनीकी एकीकरण से युवाओं के लिए संभावनाएं खुल सकती हैं।
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर तरुण खन्ना ने कहा कि भारत अपने विकास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। उन्होंने टेक्नोलॉजी, शिक्षा और शासन के आपसी संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा क्षेत्र में हो रहे सुधार भारत के लिए खास हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित एनडीटीवी वर्ल्ड समिट के दौरान समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए, उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया और कहा कि यह विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसायों को नया रूप दे रहा है और शिक्षा भी इसका अपवाद नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के रूप में मेरा मानना है कि हम अभी भी एआई के वास्तविक प्रभाव को समझने के शुरुआती दौर में हैं। हमें सावधानीपूर्वक इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि किन कौशलों की जगह एआई ले सकता है और इसके माध्यम से मानवीय क्षमता को कहां बढ़ाया जा सकता है।
प्रो. खन्ना ने आगे कहा कि हालांकि एआई पर व्यापक रूप से चर्चा हो रही है, लेकिन इसके वास्तविक लाभ अभी तक जमीनी स्तर पर पूरी तरह से मापने योग्य नहीं हुए हैं। हम अभी तक एआई के लाभों को अंतिम परिणाम में परिलक्षित होते नहीं देख पा रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि तकनीक का अधिक संरचित एकीकरण भारत के युवाओं के लिए नई संभावनाओं को खोल सकता है।
शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने स्पष्ट राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित करने के लिए नेतृत्व की प्रशंसा की। प्रो. खन्ना ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बहुत निर्णायक हैं। भारत के लिए उनकी आकांक्षाएं, जैसा कि उन्होंने कल व्यक्त किया, न केवल देश के लिए, बल्कि समग्र मानवता के लिए भी लाभकारी हैं।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा विशेष रूप से शिक्षा मंत्रालय में की गई पहलों पर दिए गए मार्गदर्शन से एक केंद्रित और कार्य-उन्मुख शासन मॉडल का पता चलता है।
सरकार की प्रस्तावित त्रि-भाषा नीति पर प्रो. खन्ना ने कहा कि उन्हें इसकी बारीकियों की पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन वे ऐसी किसी भी पहल का स्वागत करते हैं जो छात्रों को बहु-भाषाओं से परिचित कराती हो। उन्होंने कहा कि अगर इसका उद्देश्य भाषाई ज्ञान का विस्तार करना है, तो मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन कदम है।