क्या 27 लाख की ऑटो डीलरशिप का झांसा दिया गया? सीबीआई ने दो पुलिसकर्मियों समेत चार के खिलाफ दर्ज किया केस

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क्या 27 लाख की ऑटो डीलरशिप का झांसा दिया गया? सीबीआई ने दो पुलिसकर्मियों समेत चार के खिलाफ दर्ज किया केस

सारांश

क्या एक महिला निवेशक को 27 लाख की धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ा? सीबीआई ने इस मामले में दो पुलिसकर्मियों और दो जालसाजों के खिलाफ केस दर्ज किया है। जानिए पूरी कहानी, जिसमें फर्जी डीलरशिप के वादे के तहत पैसे की ठगी करने का आरोप है।

Key Takeaways

  • महिला निवेशक को धोखा देने के लिए चार लोग आरोपी हैं।
  • आरोपी जालसाजों ने 27.5 लाख रुपये ठगे।
  • सीबीआई ने गंभीरता से मामले की जांच शुरू की है।
  • पुलिसकर्मियों की संलिप्तता ने मामले को और जटिल बना दिया है।
  • साक्ष्य के गायब होने के आरोप गंभीर हैं।

तिरुवनंतपुरम, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई ने केरल में दो कथित जालसाजों और दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक महिला निवेशक को ऑटोमोबाइल डीलरशिप देने के बहाने धोखा देने का मामला दर्ज किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

केरल उच्च न्यायालय के निर्देश पर, सीबीआई की विशेष अपराध शाखा, तिरुवनंतपुरम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिव्या सारा थॉमस की देखरेख में बुधवार को सीबीआई की प्राथमिकी दर्ज की गई। यह शिकायत अलप्पुझा के चेंगन्नूर स्थित करक्कड़ गांव की निवासी, शिकायतकर्ता ज्योर्सना बीनू ने दर्ज की थी।

बीनू ने आरोप लगाया कि पथानामथिट्टा निवासी सोनी पी. भास्कर और एम.के. वरदराजन ने उनके और उनके पति के साथ 27.5 लाख रुपये की ठगी की।

सीबीआई की प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है कि बीनू ने शिकायत की कि आरोपी भास्कर और वरदराजन ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वे एस्सेन बैंकर्स नामक एक साझेदारी फर्म के क्रमशः प्रबंधक और कानूनी सलाहकार हैं।

उसने आरोप लगाया कि दोनों ने 2003 से 2007 के बीच विभिन्न मौकों पर उससे कुल 27.5 लाख रुपये वसूले, यह वादा करते हुए कि उसके पति को प्रबंध निदेशक नियुक्त करके उनके द्वारा प्रस्तावित ऑटोमोबाइल व्यवसाय में उसे डीलरशिप दी जाएगी।

शिकायतकर्ता ने बताया कि इसके बाद दोनों ने उनसे पैसे लिए और आश्वासन के बावजूद डीलरशिप नहीं दी। शिकायतकर्ता ने 3.50 लाख रुपये के दो चेक और 20.50 लाख रुपये नकद के रूप में भुगतान किया था।

सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि आईपीसी की धारा 201 के तहत जांच के दौरान - अपराध के साक्ष्य को गायब किया गया या अपराधी को बचाने के लिए झूठी जानकारी दी गई। इस पूरे मामले में ए. अभिलाष, कृष्णकुमार, डिटेक्टिव इंस्पेक्टर और डिटेक्टिव सब इंस्पेक्टर की संलिप्तता के प्रमाण मिले हैं।

धोखाधड़ी, साझा इरादे से किया गया आपराधिक कृत्य और अपराध के साक्ष्य को गायब करने जैसे दंडात्मक प्रावधानों के तहत दर्ज सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है, "तदनुसार, भारतीय दंड संहिता की धारा 201 के तहत अपराध जोड़ा गया और ए. अभिलाष, कृष्णकुमार, डिटेक्टिव इंस्पेक्टर और डिटेक्टिव सब इंस्पेक्टर को आरोपी बनाया गया।"

सीबीआई की पुलिस अधीक्षक दिव्या सारा थॉमस, आईपीएस द्वारा हस्ताक्षरित सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है, "प्राथमिकी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, तिरुवनंतपुरम को भेजी जा रही है।"

इससे पहले, उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि राज्य पुलिस के जांचकर्ताओं ने स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, चेंगन्नूर से दो चेक लीफ की बरामदगी के संबंध में भ्रामक बयान दिए और संबंधित अदालत के समक्ष उपरोक्त चेक लीफ पेश करने में भी विफल रहे।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसकी पूछताछ से पता चला है कि राज्य पुलिस जांचकर्ताओं द्वारा "जब्त" किए गए उपरोक्त चेक लीफ गायब थे।

याचिकाकर्ता ने संदेह जताया कि चेक, जो महत्वपूर्ण साक्ष्य थे, जानबूझकर दोषियों को बचाने के लिए नष्ट कर दिए गए थे। उन्होंने केरल पुलिस के दोनों जांचकर्ताओं के खिलाफ विस्तृत शिकायत दर्ज कराई।

Point of View

यह मामला स्पष्ट करता है कि कैसे धोखाधड़ी की घटनाएं हमारे समाज में बढ़ती जा रही हैं। ऐसे मामलों में कानून को सख्ती से उपयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी और को इस तरह के धोखे का शिकार न होना पड़े।
NationPress
23/10/2025

Frequently Asked Questions

सीबीआई ने क्यों मामला दर्ज किया?
सीबीआई ने ऑटोमोबाइल डीलरशिप देने के बहाने एक महिला निवेशक को धोखा देने के आरोप में मामला दर्ज किया।
कितने लोग इस मामले में आरोपी हैं?
इस मामले में कुल चार आरोपी हैं, जिनमें दो जालसाज और दो पुलिसकर्मी शामिल हैं।
चेक और नकद में कितने पैसे की ठगी की गई?
आरोपियों ने कुल 27.5 लाख रुपये की ठगी की, जिसमें 3.50 लाख रुपये के दो चेक और 20.50 लाख रुपये नकद शामिल हैं।
क्या शिकायतकर्ता ने पहले पुलिस में शिकायत की थी?
हां, शिकायतकर्ता ने पहले राज्य पुलिस में शिकायत की थी, लेकिन जांचकर्ताओं द्वारा आवश्यक साक्ष्यों को ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया।
सीबीआई की जांच का क्या परिणाम हो सकता है?
सीबीआई की जांच से यह स्पष्ट हो सकता है कि क्या आरोपी दोषी हैं और उन्हें दंडित किया जा सकता है।