क्या छठ पर्व पर 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार हुआ है?
सारांश
Key Takeaways
- छठ पर्व से जुड़े व्यवसाय में वृद्धि हुई है।
- दिल्ली में 8,000 करोड़ का व्यापार हुआ।
- स्वदेशी छठ कैंपेन ने लोकल प्रोडक्ट्स की बिक्री को बढ़ावा दिया।
- बिहार और झारखंड में भी व्यापार में वृद्धि हुई है।
- पारंपरिक उत्पादों की मांग में तेजी आई है।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हर साल संपूर्ण देश में विश्वास और भक्ति के साथ मनाए जाने वाले चार दिवसीय छठ पर्व के संदर्भ में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने व्यापार के आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।
कैट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 10 करोड़ से अधिक लोग छठ पूजा मनाते हैं, जिससे 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार हुआ।
इसमें से अकेले दिल्ली में करीब 8,000 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ। इसके अतिरिक्त, बिहार में लगभग 15,000 करोड़ रुपए और झारखंड में लगभग 5,000 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ।
कैट के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से पूर्वांचल क्षेत्र, छठ पूजा के मुख्य केंद्र बने हुए हैं। इन राज्यों में त्योहार के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ और घाट एवं पूजा के सामान की मांग देखी जाती है।
उन्होंने कहा, "दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में पूर्वांचली आबादी के कारण इस त्योहार से जुड़े व्यापार में तेजी आई है। दिल्ली सरकार ने 1,500 घाट बनाए और पूजा सामग्री, अस्थायी ढांचों, सुरक्षा और साफ-सफाई के लिए एक बड़ी राशि खर्च की गई।"
खंडेलवाल ने बताया कि छठ पूजा का आर्थिक प्रभाव अब अपने पारंपरिक क्षेत्रों से आगे बढ़कर मेट्रो शहरों और उभरते राज्यों तक फैल गया है, जहां प्रवासी समुदायों ने स्थानीय स्तर पर मजबूत मांग पैदा की है।
उन्होंने जानकारी दी कि इस विशेष त्योहार के दौरान बेची जाने वाली वस्तुओं में केले, गन्ना, नारियल, मौसमी फल, चावल और अनाज; ठेकुआ, खीर, लड्डू और गुड़ से बनी मिठाइयां; पूजा का सामान जैसे टोकरियां, मिट्टी के दीये, पत्तों की प्लेटें, फूल और मिट्टी के बर्तन शामिल थे। इसके अलावा, घाट बनाने, लाइटिंग, साफ-सफाई, नाव सर्विस और सुरक्षा इंतजाम जैसी त्योहार से जुड़ी सेवाओं में भी व्यापार हुआ।
कैट के सेक्रेटरी जनरल खंडेलवाल ने बताया कि पीएम मोदी की स्वदेशी अपील को ट्रेड बॉडीज और आम जनता द्वारा उत्साह से अपनाया गया। देशभर में पारंपरिक ठेकुआ बनाने वाले, मिट्टी के कारीगर, बांस और केले के पत्ते की टोकरी बनाने वाले और गुड़ बनाने वालों को बढ़ावा देने के लिए 'स्वदेशी छठ' कैंपेन शुरू किए गए। इस पहल के साथ स्थानीय हैंडीक्राफ्ट और देसी प्रोडक्ट्स की भारी बिक्री दर्ज की गई।