क्या चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में वाणिज्यिक खदानों से कोयला उत्पादन 11.9 प्रतिशत बढ़ा?

सारांश
Key Takeaways
- कोयला उत्पादन में 11.88 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- पांच महीनों में 9.12 प्रतिशत की ढुलाई में वृद्धि हुई।
- कोयला मंत्रालय ने 200 से अधिक खदानों का आवंटन किया है।
- ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नीतिगत सुधार जरूरी हैं।
- अर्थव्यवस्था के लिए यह वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है।
नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) वित्तीय वर्ष 2025-26 के अप्रैल से अगस्त के बीच, भारत की कैप्टिव और वाणिज्यिक खदानों से कोयला उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.88 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस दौरान, खदानों से कोयले की ढुलाई में 9.12 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है।
कोयला मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि ये सकारात्मक प्रवृत्तियाँ पूरे क्षेत्र में बेहतर परिचालन दक्षता और खनन क्षमता के प्रभावी उपयोग को दर्शाती हैं।
इस वर्ष अगस्त महीने में कोयला उत्पादन 14.43 मिलियन टन (एमटी) और ढुलाई 15.07 मिलियन टन (एमटी) रही।
कोयला उत्पादन में यह वृद्धि बिजली उत्पादन, स्टील निर्माण और सीमेंट उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों को कोयले की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करती है, जिससे भारत के औद्योगिक बुनियादी ढांचे की रीढ़ मजबूत होती है।
मंत्रालय ने इस क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय नीतिगत उपायों, कठोर निगरानी और भागीदारों को निरंतर समर्थन को दिया।
बयान में कहा गया है कि इन प्रयासों ने ऑपरेशनल एप्रूवल में तेजी लाने और उत्पादन क्षमताओं का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे कोयला उत्पादन और ढुलाई में वृद्धि हुई है।
कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक खनन की शुरुआत के लिए 200 से अधिक कोयला खदानों के आवंटन की एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जो भारत के कोयला क्षेत्र में बदलाव की गति को दर्शाती है।
पिछले वर्षों में, मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खनन की शुरुआत से लेकर सिंगल-विंडो क्लिरेंस सिस्टम और डिजिटल निगरानी उपकरणों को अपनाने तक कई परिवर्तनकारी सुधारों की शुरूआत की है। इन उपायों ने सामूहिक रूप से कोयला क्षेत्र के परिचालन परिदृश्य को पुनर्परिभाषित किया है और निजी उद्यम के लिए नए अवसर खोले हैं।
बयान में आगे कहा गया है कि यह उपलब्धि मंत्रालय के दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाती है - जिसका उद्देश्य न केवल घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाना है, बल्कि आयात पर निर्भरता कम करके और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना भी है। ऐसी पहलों का संचयी प्रभाव आर्थिक विकास और रणनीतिक स्वायत्तता, दोनों को बढ़ावा देता है।
-राष्ट्र प्रेस
एबीएस/