क्या रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने पर 2 अगस्त तक टला फैसला?

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क्या रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने पर 2 अगस्त तक टला फैसला?

सारांश

दिल्ली की अदालत ने रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने के अपने निर्णय को 2 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है। यह मामला हरियाणा के शिकोहपुर में भूमि सौदे से जुड़ा हुआ है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। क्या वाड्रा को इस मामले में राहत मिलेगी? जानें पूरी कहानी!

Key Takeaways

  • रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने का फैसला 2 अगस्त तक टल गया है।
  • प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप पर जांच कर रहा है।
  • यह भूमि सौदा 2008 में हुआ था, जब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी।

नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को हरियाणा के शिकोहपुर में एक भूमि सौदे से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने के अपने निर्णय को 2 अगस्त तक के लिए टाल दिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अभियोजन शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने हरियाणा के गुरुग्राम जिले के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ ज़मीन धोखाधड़ी से खरीदी है।

इस मामले में गुरुवार को राऊज एवेन्यू कोर्ट को निर्णय सुनाना था, जिसे अब 2 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

पिछले सप्ताह, ट्रायल कोर्ट ने कांग्रेस सांसद रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस जारी करने के मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रखा था। सुनवाई के दौरान, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील ने कहा कि बिक्री दस्तावेज़ में गलत तरीके से 7.5 करोड़ रुपए के भुगतान का उल्लेख किया गया था, जबकि वास्तव में ऐसा कोई भुगतान नहीं हुआ था। उन्होंने बताया कि यह राशि बाद में दी गई थी ताकि स्टांप ड्यूटी से बचा जा सके और मुख्य गवाहों ने इसकी पुष्टि की है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया कि वाड्रा ने अपने निजी प्रभाव का उपयोग करके खरीदी गई ज़मीन पर व्यावसायिक लाइसेंस प्राप्त किया। ईडी के अनुसार, इस ज़मीन को बाद में डीएलएफ को ऊंची कीमत पर बेचा गया था।

इस वर्ष अप्रैल में, ईडी ने वाड्रा से कई बार पूछताछ की, और उनका बयान भी दर्ज किया गया।

फरवरी 2008 में, जब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे, तब यह ज़मीन खरीद का सौदा किया गया था। आमतौर पर महीनों लगने वाली म्यूटेशन प्रक्रिया अगले ही दिन पूरी कर दी गई।

कुछ महीनों बाद, वाड्रा को इस ज़मीन पर हाउसिंग सोसाइटी बनाने का परमिट मिला, जिससे ज़मीन की कीमत बढ़ गई। जून में उन्होंने इसे डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को संदेह है कि इस मुनाफे में मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है, इसलिए वे इसकी जांच कर रहे हैं।

अक्टूबर 2012 में, उस समय हरियाणा के भूमि रिकॉर्ड और पंजीकरण महानिदेशक रहे आईएएस अधिकारी अशोक खेमका (अब रिटायर्ड) ने प्रक्रियागत अनियमितताओं का हवाला देकर इस ज़मीन सौदे को रद्द कर दिया था। 2013 में सरकार की एक आंतरिक समिति ने वाड्रा और डीएलएफ को क्लीन चिट दी थी। बाद में, जब भाजपा की सरकार आई, तो हरियाणा पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, वाड्रा और अन्य के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की।

Point of View

यह मामला न केवल वाड्रा के लिए, बल्कि पूरे राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण है। जब तक न्यायिक प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक सभी को निष्पक्षता से जांच का सामना करना चाहिए। इस मामले में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
NationPress
01/08/2025

Frequently Asked Questions

रॉबर्ट वाड्रा को नोटिस क्यों जारी किया गया?
उन्हें हरियाणा के शिकोहपुर में भूमि सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नोटिस जारी किया गया है।
इस मामले का क्या महत्व है?
यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग और राजनीतिक प्रभाव के उपयोग से संबंधित है, जो पूरे राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।
क्या वाड्रा को 2 अगस्त तक राहत मिलेगी?
फिलहाल, अदालत ने निर्णय को 2 अगस्त तक के लिए टाल दिया है, इसलिए केवल समय ही बताएगा।