क्या जीएसटी में बदलाव से त्रिपुरा की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी की दरें घटने से लागत में कमी आई है।
- स्थानीय उत्पादों की मूल्य प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी।
- आदिवासी महिलाओं और छोटे किसानों के लिए नए अवसर उत्पन्न होंगे।
- चाय और रेशम उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
- निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस) सरकार ने गुरुवार को बताया कि जीएसटी दरों में हालिया कमी से त्रिपुरा के हैंडलूम, चाय, रेशम उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों की लागत घट रही है और बाजार में पहुँच बढ़ रही है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ये सुधार रीसा और पचरा-रिग्नाई वस्त्रों से लेकर त्रिपुरा क्वीन अनानास उत्पादों और रेशम उत्पादन उद्योग को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिससे आदिवासी महिलाओं, कारीगरों और छोटे किसानों को सशक्त किया जा रहा है। साथ ही, यह मूल्यवर्धन और निर्यात को भी बढ़ावा देता है।
जीआई-टैग वाले रीसा और पचरा-रिग्नाई वस्त्रों पर ये कटौती लागू की गई है, जिससे हाथकरघा उद्योग से जुड़े 1.3 लाख से अधिक परिवारों को लाभ होगा। इसके अलावा, इन कपड़ों से बने सिले हुए परिधानों को भी फायदा होगा, जिससे स्थानीय रूप से बने कपड़ों की मूल्य प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
जीएसटी में हालिया संशोधन ने इस पारंपरिक शिल्प को और बढ़ावा दिया है। अब कपड़ों पर जीएसटी लगभग 5 प्रतिशत है और 2,500 रुपए तक के सिले हुए परिधानों को पहले के 12 प्रतिशत कर स्लैब से हटाकर 5 प्रतिशत कर स्लैब में डाल दिया गया है।
बयान में कहा गया है कि सिले हुए रीसा-आधारित परिधानों पर 7 प्रतिशत की यह कटौती ग्रामीण महिलाओं के लिए आय के अवसरों को बढ़ाएगी और साथ ही राज्य की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करेगी।
पैकेज्ड और इंस्टेंट चाय पर भी अब 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जिससे 54 चाय बागानों और लगभग 2,755 छोटे चाय उत्पादकों को लाभ होगा, जो बांग्लादेश, मध्य पूर्व और यूरोप जैसे बाजारों में निर्यात करते हैं।
एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र रेशम उत्पादन है, जिसमें राज्य भर के लगभग 15,550 किसान शामिल हैं। अब रेशम-आधारित उत्पादों पर 5 प्रतिशत कर लगाया जा रहा है, जिससे रेशम मूल्य श्रृंखला के हर चरण की लागत कम होगी।
इसके अतिरिक्त, त्रिपुरा में खाद्य प्रसंस्करण को फलों और सब्जियों के रस पर 7 प्रतिशत जीएसटी कटौती का लाभ मिलेगा, जिसमें जीआई-टैग वाले त्रिपुरा क्वीन अनानास के उत्पाद भी शामिल हैं। राज्य में लगभग 2,848 खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण इकाइयाँ सक्रिय हैं।
कर दबाव को कम करके, यह सुधार प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात को प्रोत्साहित करता है, जिससे त्रिपुरा के फल क्षेत्र को कृषि-आधारित उत्पादन से अधिक मूल्य-संचालित, बाजार-उन्मुख पारिस्थितिकी तंत्र में विकसित होने में मदद मिलती है।
वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2024-25 तक, त्रिपुरा ने दुबई, ओमान, कतर और बांग्लादेश को लगभग 73 मीट्रिक टन अनानास का निर्यात किया, जबकि अन्य भारतीय राज्यों को लगभग 15,000 मीट्रिक टन की आपूर्ति की थी।