क्या आईसीएमआर के सस्ते टेस्ट किट से जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर की पहचान में मदद मिलेगी?

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क्या आईसीएमआर के सस्ते टेस्ट किट से जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर की पहचान में मदद मिलेगी?

सारांश

आईसीएमआर ने सस्ते और प्रभावी पॉइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) टेस्ट किट विकसित किए हैं, जो गंभीर रक्त बीमारियों की पहचान को सुलभ बना रहे हैं। जानें कैसे ये किट स्वास्थ्य प्रणाली में क्रांति ला सकते हैं।

Key Takeaways

  • आईसीएमआर ने सस्ते पीओसी टेस्ट किट तैयार किए हैं।
  • ये किट हीमोफीलिया, वीडब्ल्यूडी और सिकल सेल रोग के लिए हैं।
  • किट की लागत मात्र 582 रुपए है।
  • 83,000 से अधिक अज्ञात मामलों का पता लगाया जा सकता है।
  • स्वदेशी कंपनियों ने सस्ते और प्रभावी टेस्ट विकसित किए हैं।

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने किफायती और सरल पॉइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) टेस्ट किट विकसित किए हैं, जो देश में हीमोफीलिया ए, वॉन विलेब्रांड रोग (वीडब्ल्यूडी) और सिकल सेल रोग (एससीडी) जैसे जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर की पहचान को आसान और सस्ता बनाते हैं।

महंगे परीक्षणों और विशेष अस्पतालों की कमी के कारण इन गंभीर रक्तस्रावी बीमारियों की पहचान अक्सर समय पर नहीं हो पाती है।

देश में हीमोफीलिया ए से लगभग 1,36,000 लोग प्रभावित हैं, लेकिन इनमें से बहुत कम का इलाज या रजिस्ट्रेशन हो पाता है।

वहीं, कुछ क्षेत्रों में वॉन विलेब्रांड रोग हर 12,000 लोगों में से एक को प्रभावित करता है, और रिसर्च से पता चलता है कि जेनेटिक ब्लीडिंग डिसऑर्डर की इसकी व्यापकता 10 प्रतिशत है।

सिकल सेल रोग खासकर जनजातीय आबादी में अधिक पाया जाता है। इसके 57 प्रतिशत रोगी जनजातीय लोग हैं, जबकि गैर-जनजातीय आबादी में इसकी व्यापकता 43 प्रतिशत है।

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी (एनआईआईएच) ने हीमोफीलिया ए और वीडब्ल्यूडी के लिए पीओसी टेस्ट किट तैयार किए हैं, जिनका उपयोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर भी किया जा सकता है। इस किट की लागत केवल 582 रुपए है, जबकि मौजूदा लैब टेस्ट की कीमत 2,086 रुपए है।

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में आईसीएमआर-सेंटर फॉर रिसर्च, मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज (सीआरएमसीएच) की निदेशक डॉ. मनीषा मडकाइकर ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया, "हमारे पास अब कई टेस्ट हैं, जो भारत में बने हैं और ब्लड डिसऑर्डर का इलाज कर सकते हैं। यह एक ऐसा विषय है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए।"

उन्होंने बताया कि इस किट से 83,000 से अधिक अज्ञात मामलों का पता लगाया जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली को 42 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है।

ये किट नेशनल हेल्थ प्रोग्राम में पीएचसी स्तर पर शामिल किए जा रहे हैं, जिससे रक्त से जुड़े रोगों का शुरुआती उपचार संभव होगा। विश्व हीमोफीलिया महासंघ ने भी इन किट्स को अन्य देशों में उपयोग के लिए खरीदने में रुचि दिखाई है।

सिकल सेल रोग के खिलाफ लड़ाई में आईसीएमआर-एनआईआईएच और छत्तीसगढ़ के सीआरएमसीएच को नए डायग्नोस्टिक किट्स की जांच और मंजूरी का जिम्मा सौंपा गया है। अब तक 30 किट्स को मंजूरी दी गई है, जिनमें सस्ते फिंगर-प्रिक टेस्ट से लेकर जेनेटिक स्तर के टेस्ट शामिल हैं। इन किट्स की कीमत 50 रुपए से भी कम है, जो राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन के तहत सात करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

डॉ. मडकाइकर ने कहा, “पहले केवल दो महंगे पीओसी टेस्ट उपलब्ध थे, लेकिन अब स्वदेशी कंपनियों ने सस्ते और प्रभावी टेस्ट विकसित किए हैं, जो भारत में रक्त रोगों की पहचान को सरल और सुलभ बना रहे हैं।”

Point of View

यह स्पष्ट है कि आईसीएमआर के नए टेस्ट किट स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह न केवल रोगी के लिए उपचार को सस्ता और सुलभ बनाते हैं, बल्कि देश के स्वास्थ्य प्रणाली को भी सुदृढ़ करते हैं।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

आईसीएमआर के नए टेस्ट किट का क्या लाभ है?
ये किट जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर की पहचान को सस्ता और सुलभ बनाते हैं, जिससे समय पर उपचार संभव होता है।
इन किट्स की लागत क्या है?
इन किट्स की लागत मात्र 582 रुपए है, जबकि मौजूदा लैब टेस्ट की कीमत 2,086 रुपए है।
क्या ये किट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपयोग हो सकते हैं?
हाँ, इन किट्स का उपयोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर किया जा सकता है।
कितने रोगियों को इससे लाभ होगा?
इस किट से 83,000 से अधिक अज्ञात मामलों का पता लगाया जा सकता है।
क्या इन किट्स की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग है?
हाँ, विश्व हीमोफीलिया महासंघ ने इन किट्स को अन्य देशों में उपयोग के लिए खरीदने में रुचि दिखाई है।