क्या भारत और यूरोपीय संघ ने समुद्री प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए ‘आइडियाथॉन’ शुरू किया?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और यूरोपीय संघ का संयुक्त प्रयास
- समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए आइडियाथॉन
- स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं के लिए आवेदन आमंत्रित
- वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली समाधान विकसित करना
- स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने की दिशा में कदम
नई दिल्ली, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और यूरोपीय संघ ने समुद्री प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए एक ‘आइडियाथॉन’ की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम में भारतीय और यूरोपीय संघ के स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं, व्यवसायों और अन्य हितधारकों को इस वैश्विक समस्या का समाधान विकसित करने के लिए व्यावहारिक और नवीन उपायों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।
सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (ओपीएसए) की वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी के अनुसार, ‘आइडियाथॉन’ वैश्विक और स्थानीय स्तर पर प्रभावी समाधान विकसित करने के लिए एक सामूहिक प्रयास का प्रतीक है।
मैनी ने बताया, "समुद्री प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए यह आइडियाथॉन भारत और यूरोपीय संघ के साझा दृष्टिकोण का एक अद्भुत उदाहरण है, जिसके तहत प्रभावशाली समाधान विकसित किए जाएंगे जो दोनों क्षेत्रों में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को हल करेंगे।"
अनुसंधान, नवाचार और सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने हाल के वर्षों में भारत की पहलों का उल्लेख किया, जिनमें स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर अभियान और एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर देशव्यापी प्रतिबंध शामिल हैं।
यूरोपीय आयोग में अनुसंधान एवं नवाचार के उप महानिदेशक, सिग्ने रात्सो ने कहा कि यह आइडियाथॉन भारत और यूरोपीय संघ के सहयोग को मजबूत करता है, क्योंकि हम वैश्विक स्थिरता के लिए साझा दृष्टिकोण की चुनौतियों का सामना करने हेतु एकजुट हैं।
रात्सो ने कहा, "यह पहल हमें समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक साथ लाती है, जो एक बढ़ता हुआ संकट है और हमारे क्षेत्रों में समुद्री जीवन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और तटीय अर्थव्यवस्थाओं को खतरे में डालता है।"
ओपीएसए की सलाहकार डॉ. राकेश कौर और यूरोपीय आयोग के अनुसंधान एवं नवाचार महानिदेशालय में अंतरराष्ट्रीय सहयोग इकाई की प्रमुख, नीन्के बुइसमैन ने प्रतिभागियों को समुद्री प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए सक्रिय रूप से सहयोगात्मक रास्ते खोजने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस प्रारंभ समारोह के दौरान, आइडियाथॉन फ्रेमवर्क का एक प्रोसेस भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें प्रक्रिया, संरचना, दिशानिर्देश और समय-सीमा की रूपरेखा दी गई।
भारत और यूरोपीय संघ में समुद्री प्लास्टिक कचरे का एक परिदृश्य क्रमशः भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के मुख्य अनुसंधान वैज्ञानिक, प्रोफेसर होयसला एन. चाणक्य और यूरोपीय आयोग के अनुसंधान एवं नवाचार महानिदेशालय के जॉन हनुस द्वारा प्रस्तुत किया गया।
प्रस्तुतियों में दोनों क्षेत्रों की मौजूदा चुनौतियों और चल रही शोध पहलों पर प्रकाश डाला गया और इस समस्या के समाधान के लिए समन्वित एवं सतत कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया गया।
‘आइडियाथॉन’ के लिए आवेदन 2 अक्टूबर तक खुले रहेंगे।