क्या भारत ग्लोबल वर्कफोर्स का इंजन है और गतिशीलता के नए युग को आकार दे रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत वैश्विक कार्यबल का इंजन बन रहा है।
- प्रतिभा और कौशल के आधार पर पहचान बढ़ रही है।
- मेक इन इंडिया पर ध्यान देना आवश्यक है।
- दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है।
- छात्रों को आत्मविश्वास से भरपूर प्रेरणा दी गई है।
पुणे, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के 22वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। उन्होंने कहा कि जब विकसित देशों को बढ़ती उम्र की जनसंख्या और आर्थिक ठहराव का सामना करना पड़ रहा है, तब भारत प्रशिक्षित मानव संसाधनों के विशाल पूल के जरिए आगे बढ़ रहा है, और खुद को 'वैश्विक कार्यबल का इंजन' के रूप में स्थापित कर रहा है।
विदेश मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि भारत के बारे में जो पुरानी धारणा थी, वह अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। अब देश की पहचान उसकी प्रतिभा और कौशल के आधार पर हो रही है। दुनिया भारत को उसकी कार्य नैतिकता, तकनीकी क्षमता और परिवार-केंद्रित संस्कृति के नजरिए से देख रही है।
उन्होंने स्वदेशी 5जी स्टैक, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) और चंद्रयान मिशन जैसी हालिया उपलब्धियों का हवाला देते हुए कहा कि इन मील के पत्थरों ने अगली पीढ़ी के लिए एक मजबूत नींव रखी है।
विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया 'रीबैलेंसिंग' के दौर से गुजर रही है और दूसरा विश्व युद्ध के बाद स्थापित वैश्विक व्यवस्था अब स्पष्ट रूप से समाप्त हो रही है, और एक अधिक जटिल, बहुध्रुवीय प्रणाली की ओर बढ़ रही है। उन्होंने ग्रेजुएट होने वाले छात्रों से आत्मविश्वास के साथ वैश्विक कार्यस्थल में कदम रखने का आग्रह किया।
उन्होंने बताया कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में बड़े बदलाव आए हैं, और कोई भी एक देश, शक्ति की परवाह किए बिना, सभी मुद्दों पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकता। प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए, उन्होंने कहा कि भारत को 'मेक इन इंडिया' पहल पर अधिक ध्यान देना चाहिए और तेजी से हो रहे तकनीकी बदलावों के साथ तालमेल बिठाने के लिए आधुनिक विनिर्माण क्षमताओं का विकास करना चाहिए।
उन्होंने कहा, "भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को तेजी से बदलती तकनीक के साथ तालमेल बिठाने के लिए पर्याप्त विनिर्माण क्षमताएं विकसित करनी होंगी।"
विदेश मंत्री ने वैश्वीकरण, रीबैलेंसिंग और बहुध्रुवीयता को वर्तमान बदलाव को आकार देने वाली तीन प्रमुख शक्तियों के रूप में पहचाना, जिससे पारंपरिक पश्चिम से परे प्रभाव के नए केंद्रों की पहचान होती है, और अब किसी एक शक्ति का प्रभुत्व नहीं है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा कि दीक्षांत समारोह में भाग लेकर उन्हें खुशी हुई और उन्होंने 40 से अधिक देशों के छात्रों को वैश्विक कार्यस्थल में आत्मविश्वास के साथ कदम रखने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इस दिन, जयशंकर ने पुणे इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल (पीआईएलएफ) 2025 में 'डिप्लोमेसी टू डिस्कोर्स' नामक सत्र में भाग लिया, जहां उन्होंने भारत के अतीत की गठबंधन राजनीति और वर्तमान वैश्विक व्यवस्था के बीच समानताएं बताईं।
उन्होंने कहा, "आज की दुनिया गठबंधन राजनीति की तरह है। किसी भी गठबंधन के पास बहुमत नहीं है।" साथ ही उन्होंने बताया कि गठबंधन लगातार बनते और बदलते रहते हैं।