क्या भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनावों का समर्थन करता है?

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क्या भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनावों का समर्थन करता है?

सारांश

भारत ने बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के समर्थन की पुष्टि की है। तारिक रहमान की वापसी को लोकतंत्र के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जानें बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति पर भारत का दृष्टिकोण और चुनावों का महत्व।

Key Takeaways

  • भारत का बांग्लादेश में चुनावों के प्रति समर्थन।
  • तारिक रहमान की वापसी का लोकतंत्र पर प्रभाव।
  • बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल।
  • अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण।
  • भारत-बांग्लादेश संबंधों की मजबूती.

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनावों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः व्यक्त करते हुए कहा है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान की देश में वापसी को व्यापक लोकतांत्रिक दृष्टिकोण में देखना चाहिए।

विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नई दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “हम बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनावों का समर्थन करते हैं और लंदन से बीएनपी नेता की वापसी को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।”

गंभीर राजनीतिक संकट के बीच, तारिक रहमान 17 वर्षों के आत्म-निर्वासन के बाद गुरुवार को बांग्लादेश लौटे। वे अपनी पत्नी जुबैदा रहमान और बेटी जैमा रहमान के साथ बिमान बांग्लादेश एयरलाइंस की उड़ान से ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे।

रहमान की वापसी उस समय हुई है, जब बांग्लादेश चुनाव आयोग ने देश के 13वें राष्ट्रीय संसदीय चुनाव और जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह की घोषणा की है, जो अगले वर्ष 12 फरवरी को प्रस्तावित हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि तारिक रहमान की वापसी और फरवरी 2026 के चुनावों में उनकी संभावित भागीदारी, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हालात की परीक्षा होगी। अंतरिम सरकार पर स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव कराने का दबाव लगातार बढ़ रहा है।

आलोचकों का यह भी कहना है कि बांग्लादेश के अस्थिर राजनीतिक माहौल में रहमान की वापसी देशभर में तनाव को और गहरा कर सकती है।

इस बीच, विदेश मंत्रालय ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम से जुड़ी ऐतिहासिक विरासत और विकास व जन-जन के संपर्क से मजबूत हुए भारत-बांग्लादेश संबंधों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

रणधीर जायसवाल ने कहा, “बांग्लादेश को लेकर हमारा रुख हमेशा स्पष्ट और सुसंगत रहा है। भारत बांग्लादेश के लोगों के साथ संबंधों को मजबूत करने के पक्ष में है। हम वहां शांति और स्थिरता के समर्थक हैं। चुनावों को लेकर भी हमारा दृष्टिकोण साफ है। हम शांतिपूर्ण माहौल में स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और सहभागी चुनावों का समर्थन करते हैं।”

ढाका को भारत की वित्तीय सहायता से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में एमईए ने कहा कि परिस्थितियां भले ही बदली हों, लेकिन भारत बांग्लादेश में शांति और स्थिरता के पक्ष में खड़ा है और वहां के लोगों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखना चाहता है।

बता दें कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत बीते कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंसा की घटनाओं में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिसमें देशभर में हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं भी शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत बांग्लादेश में स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर उसने बांग्लादेशी अधिकारियों के समक्ष अपनी गंभीर चिंताएं दर्ज कराई हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत बांग्लादेश में लोकतंत्र की स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है। चाहे राजनीतिक संकट हो या चुनावी चुनौती, भारत हमेशा बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत का बांग्लादेश में चुनावों के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
भारत ने बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनावों का समर्थन किया है।
तारिक रहमान की वापसी का क्या महत्व है?
उनकी वापसी को बांग्लादेश के लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिति कैसी है?
बांग्लादेश में राजनीतिक संकट और चुनावों का दबाव बढ़ रहा है।
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