क्या भारतीय कंपनियों को चीन से दुर्लभ मृदा चुंबकों के आयात का लाइसेंस मिला?

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क्या भारतीय कंपनियों को चीन से दुर्लभ मृदा चुंबकों के आयात का लाइसेंस मिला?

सारांश

भारत की कुछ प्रमुख कंपनियों को चीन से दुर्लभ मृदा चुंबकों के आयात के लिए लाइसेंस मिलने से उद्योग में राहत की उम्मीद है। यह कदम आपूर्ति संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए उठाया गया है। जानिए इस पर और क्या कहा गया।

Key Takeaways

  • भारतीय कंपनियों को चीन से दुर्लभ मृदा चुंबकों का आयात लाइसेंस मिला है।
  • आयात लाइसेंस से आपूर्ति संबंधी समस्याओं का समाधान होगा।
  • विशिष्ट शर्तें जुड़ी हैं जैसे कि रक्षा संबंधी उपयोग नहीं।
  • यह विकास ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
  • अमेरिका और चीन के बीच वार्ता का भी प्रभाव पड़ेगा।

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को जानकारी दी कि कुछ भारतीय कंपनियों को चीन से दुर्लभ मृदा चुंबकों (रेयर अर्थ मैग्‍नेट) के आयात के लिए लाइसेंस प्राप्त हुए हैं।

इन चुंबकों के आयात के लिए कम से कम तीन भारतीय कंपनियों कॉन्टिनेंटल इंडिया, हिताची और जय उशिन को प्रारंभिक सरकारी मंजूरी मिली है। ये कंपनियां भारत के ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए पुर्जे उपलब्ध कराती हैं।

अप्रैल की शुरुआत में बीजिंग द्वारा इन चुंबकों के निर्यात पर कड़े नियंत्रण लगाए जाने के बाद से यह पहली मंजूरी है। इस कदम का उद्देश्य आपूर्ति संबंधी समस्याओं को दूर करना है, जो भारत के प्रमुख उद्योगों को प्रभावित कर रही थीं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि अमेरिका और चीन के बीच वार्ता हमारे क्षेत्र पर किस प्रकार प्रभाव डालेगी।

आयात लाइसेंस में विशिष्ट शर्तें जुड़ी हैं। आयातित चुंबकों को यूएस को पुनः निर्यात नहीं किया जा सकता और न ही उनका उपयोग रक्षा संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

विदेश मंत्रालय ने पहले ही पुष्टि कर दी थी कि वह दुर्लभ मृदा सामग्रियों की आपूर्ति सुनिश्चित करने और व्यापार आपूर्ति शृंखला में पूर्वानुमानशीलता लाने के लिए चीन के साथ बातचीत कर रहा है।

भारत सरकार और उद्योग निकाय आपूर्ति संबंधी बाधाओं का समाधान खोजने के लिए काम कर रहे हैं। ऑटोमोटिव क्षेत्र, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माता, निर्यात प्रतिबंधों से खास तौर पर प्रभावित हुए हैं। इस प्रारंभिक लाइसेंस अनुदान से दबाव कुछ कम होने की उम्मीद है।

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि उन्होंने और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने महत्वपूर्ण दुर्लभ मृदा सामग्री की आपूर्ति के लिए एक साल के समझौते पर सहमति व्यक्त की है।

यह घोषणा दोनों नेताओं के बीच दक्षिण कोरिया के बुसान में 32वें एपेक आर्थिक नेताओं की बैठक के दौरान हुई मुलाकात के बाद की गई, यह छह वर्षों में उनकी पहली आमने-सामने की बैठक थी।

ट्रंप ने कहा कि समझौते का वार्षिक नवीनीकरण किया जाएगा और यह दोनों देशों के तनावपूर्ण व्यापार संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।

बैठक के बाद एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि सभी दुर्लभ मृदा तत्वों का निपटारा कर दिया गया है और यह पूरी दुनिया के लिए है।

ट्रंप ने कहा कि उन्होंने चीन पर फेंटेनाइल से संबंधित टैरिफ को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने पर भी सहमति व्यक्त की है।

Point of View

खासकर जब हम देखते हैं कि कैसे दुनिया भर में आपूर्ति श्रृंखलाओं में परिवर्तन हो रहे हैं। यह लाइसेंस उन चुनौतियों का समाधान करने में मदद कर सकता है, जिनका सामना भारत के प्रमुख उद्योग कर रहे हैं।
NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

कौन सी कंपनियों को चीन से आयात का लाइसेंस मिला है?
कॉन्टिनेंटल इंडिया, हिताची और जय उशिन को चीन से दुर्लभ मृदा चुंबकों के आयात का लाइसेंस प्राप्त हुआ है।
आयात लाइसेंस की शर्तें क्या हैं?
आयातित चुंबकों को यूएस को पुनः निर्यात नहीं किया जा सकता और न ही उनका उपयोग रक्षा संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
यह लाइसेंस भारत के किस उद्योग को प्रभावित करेगा?
यह लाइसेंस भारत के ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों को प्रभावित करेगा।
क्या यह लाइसेंस पहली बार जारी किया गया है?
हाँ, यह अप्रैल में बीजिंग द्वारा निर्यात पर कड़े नियंत्रण लगाए जाने के बाद से पहली मंजूरी है।