क्या चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया कर सकता है दमदार वापसी?: एसबीआई रिपोर्ट

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क्या चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया कर सकता है दमदार वापसी?: एसबीआई रिपोर्ट

सारांश

क्या रुपया चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में पुनः अपनी ताकत प्राप्त कर सकता है? जानें एसबीआई की नई रिपोर्ट में इसके पीछे के कारण और संभावनाएं।

Key Takeaways

  • रुपया दूसरी छमाही में वापसी कर सकता है।
  • वैश्विक अस्थिरता का असर है।
  • डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर ध्यान देना जरूरी है।
  • आर्थिक संकेतक सकारात्मक हो सकते हैं।

नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया अपनी खोई हुई ताकत को वापस पा सकता है और डॉलर के मुकाबले इसकी वैल्यू में सुधार देखने को मिल सकता है। यह जानकारी एसबीआई रिसर्च द्वारा बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में साझा की गई।

एसबीआई रिसर्च ने बताया कि वैश्विक अस्थिरता और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में देरी के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सामना करना पड़ा है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के व्यापार आंकड़ों ने दिखाई है कि देश ने अनिश्चितता, संरक्षणवाद और श्रम आपूर्ति में आए झटकों का सामना मजबूती से किया है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्या कांती घोष ने कहा, "जियोपॉलिटिकल रिस्क इंडेक्स अप्रैल 2025 से कम हुआ है और इस अवधि के लिए इंडेक्स की औसत वैल्यू अपने दशकीय स्तर से ऊपर है। यह इंडेक्स दिखाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं भारतीय रुपये पर कितना दबाव डाल रही हैं।"

घोष ने यह भी कहा कि रुपया अभी गिरावट के दौर में है लेकिन जल्द ही इससे बाहर निकलेगा।

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है। रुपया ने अपने मनोवैज्ञानिक स्तर 90 को पार कर लिया है और 91 के स्तर पर पहुंच गया है।

हालांकि, गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में एक अच्छी वृद्धि देखने को मिली है और यह 90.25 पर पहुंच गया है।

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रुपये में मौजूदा गिरावट (दिनों की संख्या के अनुसार) सबसे तेज है। एक साल से भी कम समय में, रुपया प्रति डॉलर 85 से गिरकर 90 पर आ गया है।

2 अप्रैल, 2025 को अमेरिका द्वारा दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद से भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5.7 प्रतिशत (प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक) गिर गया है।

हालांकि, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के चलते बीच-बीच में रुपये में तेजी भी देखने को मिली है।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि रुपये की स्थिति केवल आर्थिक आंकड़ों से नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति और व्यापार समझौतों से भी प्रभावित होती है। भारत का मजबूत व्यापारिक माहौल और आशावाद हमें एक स्थिर आर्थिक भविष्य की ओर ले जा सकता है।
NationPress
17/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या रुपया वास्तव में वापसी करेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया की वापसी की संभावना है, लेकिन यह वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
एसबीआई की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
एसबीआई की रिपोर्ट में रुपये की गिरावट के कारण और संभावित सुधार के बारे में जानकारी दी गई है।
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