क्या झारखंड के रामगढ़ में जंगली हाथियों के हमले से चार की मौत हुई?
सारांश
Key Takeaways
- हाथियों के हमले में चार लोगों की जान गई।
- ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
- सड़क जाम से यातायात प्रभावित हुआ।
- मुआवजे की मांग की गई।
- वन विभाग की भूमिका पर सवाल उठाए गए।
रामगढ़, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के रामगढ़ जिले में जंगली हाथियों के हमले में एक ही दिन में चार लोगों की मौत से गुस्साए लोग बुधवार को सड़क पर उतर आए। उन्होंने घाटो में चार नंबर चौक को घंटों जाम रखा। प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन और वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। सड़क जाम के कारण रामगढ़-केदला मुख्य मार्ग सहित आसपास के इलाकों में घंटों तक आवागमन ठप रहा और यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
रामगढ़ जिले के घाटो ओपी क्षेत्र में मंगलवार शाम से लेकर रात तक हाथियों के हमले की अलग-अलग घटनाओं में चार लोगों की जान चली गई थी। मृतकों में अमित रजवार (33), अमूल महतो (35), पार्वती देवी (40) और सावित्री देवी (45) शामिल हैं। एक ही दिन में चार मौतों की खबर फैलते ही पूरे इलाके में दहशत फैल गई और ग्रामीण रातभर भय के साए में रहने को मजबूर हो गए।
पहली घटना मंगलवार शाम करीब चार बजे वेस्ट बोकारो के आरा चार नंबर फीडर ब्रेकर के पास हुई। बताया गया कि सड़क किनारे हाथियों का एक झुंड आराम कर रहा था, जिसे देखने के लिए आसपास के लोग जुट गए। इसी दौरान कुछ ग्रामीणों ने हाथियों को खदेड़ने की कोशिश की, जिससे एक हाथी उग्र हो गया और लोगों पर हमला कर दिया। हमले में अमित रजवार को हाथी ने सूंड से पटक-पटककर मार डाला। घटना के बाद इलाके में अफरातफरी मच गई और रामगढ़-केदला मुख्य मार्ग पर जाम लग गया।
कई बड़े वाहन चालक अपनी गाड़ियां छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागते नजर आए। अमित रजवार सारूबेड़ा कोलियरी में ड्यूटी कर अपने घर इचाकड़ीह लौट रहे थे। परिजनों के अनुसार, वह हाथियों के झुंड को देखने आरा चार नंबर फीडर ब्रेकर के पास चले गए थे। इसी दौरान यह दर्दनाक घटना हुई।
इधर, कुछ ही घंटों बाद गिद्दी निवासी अमूल महतो भी हाथियों के हमले का शिकार हो गए। देर रात हाथियों का आतंक और बढ़ गया। हाथियों के झुंड ने महावीर मांझी की पत्नी पार्वती देवी और स्वर्गीय लखन करमाली की पत्नी सावित्री देवी को भी कुचलकर मार डाला। एक के बाद एक हुई इन घटनाओं ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया।
घटनाओं से आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग और जिला प्रशासन हाथियों के रिहायशी इलाकों में प्रवेश को रोकने के लिए कोई ठोस और स्थायी कदम नहीं उठा रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की निष्क्रियता के कारण ही हाथियों का आतंक लगातार बढ़ रहा है और उन्हें जान-माल के नुकसान का स्थायी खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों की मांग है कि वन विभाग हाथियों को जंगल तक सीमित रखने के लिए प्रभावी उपाय करे और मृतकों के परिजनों को शीघ्र एवं पर्याप्त मुआवजा प्रदान किया जाए।