क्या सरकार ने भारतीय निर्यातकों को सशक्त बनाने के लिए 'मार्केट एक्सेस सपोर्ट' योजना शुरू की?

Click to start listening
क्या सरकार ने भारतीय निर्यातकों को सशक्त बनाने के लिए 'मार्केट एक्सेस सपोर्ट' योजना शुरू की?

सारांश

सरकार ने भारतीय निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सशक्त बनाने के लिए 'मार्केट एक्सेस सपोर्ट' योजना की शुरुआत की है। यह योजना विशेष रूप से एमएसएमई और नए निर्यातकों को लक्षित करती है। जानिए इस योजना के तहत क्या-क्या सुविधाएं और सहायता दी जाएगी।

Key Takeaways

  • सरकार ने मार्केट एक्सेस सपोर्ट योजना शुरू की है।
  • यह योजना खासतौर पर एमएसएमई के लिए लाभकारी है।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुँच बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।
  • कार्यक्रमों में 35% भागीदारी एमएसएमई की अनिवार्य होगी।
  • फीडबैक के आधार पर नियमों में सुधार किया जाएगा।

नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक बेहतर पहुँच दिलाने के लिए सरकार ने बुधवार को मार्केट एक्सेस सपोर्ट (एमएएस) योजना की शुरुआत की। यह योजना एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईपीएम) के तहत लाई गई है, जिसे इस वर्ष नवंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एमएएस योजना को ईपीएम की ‘निर्यात दिशा’ उप-योजना के तहत लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य खासतौर पर एमएसएमई, पहली बार निर्यात करने वाले निर्यातकों और प्राथमिक क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच दिलाना है।

मार्केट एक्सेस सपोर्ट योजना के तहत कई गतिविधियों के लिए वित्तीय और संस्थागत सहायता प्रदान की जाएगी। इनमें खरीदार-विक्रेता बैठकें (बीएसएम), अंतरराष्ट्रीय ट्रेड मेलों और प्रदर्शनियों में भागीदारी, भारत में आयोजित होने वाली मेगा रिवर्स क्रेता-विक्रेता बैठकें (आरबीएसएम) और प्रमुख व उभरते निर्यात बाजारों में व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजना शामिल है।

मंत्रालय ने बताया कि आने वाले तीन से पांच वर्षों के लिए बड़े बाजार पहुँच कार्यक्रमों की एक सूची पहले से तैयार और मंजूर की जाएगी, जिससे निर्यातकों और आयोजकों को पहले से योजना बनाने में मदद मिलेगी और बाजार विकास के प्रयास लगातार चलते रहेंगे।

आधिकारिक बयान के अनुसार, इन कार्यक्रमों में कम से कम 35 प्रतिशत भागीदारी एमएसएमई की अनिवार्य होगी। नए देशों और छोटे बाजारों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि निर्यात के नए रास्ते खुलें। प्रतिनिधिमंडल में कम से कम 50 लोगों की भागीदारी तय की गई है, हालांकि बाजार की स्थिति के अनुसार इसमें बदलाव किया जा सकता है।

खास बात यह है कि कार्यक्रमों के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता की सीमा और लागत साझा करने के नियमों को सरल बनाया गया है। प्राथमिक क्षेत्रों और बाजारों को अधिक मदद दी जाएगी।

पिछले साल 75 लाख रुपए तक का निर्यात कारोबार करने वाले छोटे निर्यातकों को हवाई किराए में आंशिक सहायता दी जाएगी, ताकि नए और छोटे निर्यातकों को आगे बढ़ने का मौका मिले।

कार्यक्रमों की सूची, प्रस्ताव भेजने, मंजूरी, प्रतिभागियों का पंजीकरण, धन जारी करने और निगरानी की पूरी प्रक्रिया ट्रेड डॉट गॉव डॉट इन वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन की जाएगी। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और सभी को आसानी होगी।

हर कार्यक्रम में शामिल होने वाले निर्यातकों से ऑनलाइन फीडबैक लेना अनिवार्य होगा। इसमें खरीदारों की गुणवत्ता, उत्पन्न व्यापारिक अवसर और बाजार की उपयोगिता जैसे मापदंडों को शामिल किया जाएगा।

मंत्रालय ने कहा कि इस फीडबैक और अनुभव के आधार पर एमएएस के नियमों को समय-समय पर और बेहतर बनाया जाएगा।

एमएएस योजना का मुख्य उद्देश्य खरीदारों से बेहतर संपर्क बनाना और योजनाबद्ध व परिणाम देने वाले प्रयासों के जरिए दुनिया भर के बाजारों में देश की मौजूदगी मजबूत करना है।

Point of View

क्योंकि यह निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए सशक्त करती है। एमएसएमई को विशेष प्राथमिकता देने से छोटे कारोबारियों को भी लाभ होगा, जो देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं।
NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

मार्केट एक्सेस सपोर्ट योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेहतर पहुँच प्रदान करना है।
इस योजना के तहत किस प्रकार की सहायता प्रदान की जाएगी?
इस योजना के तहत वित्तीय मदद, संस्थागत सहायता और बाजार पहुँच कार्यक्रमों के लिए सहायता दी जाएगी।
क्या एमएसएमई को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी?
हाँ, एमएसएमई की भागीदारी अनिवार्य होगी और उन्हें विशेष प्राथमिकता दी जाएगी।
Nation Press