क्या पश्चिम बंगाल एसआईआर में राजनीतिक दलों ने 2.07 लाख दावे-आपत्तियां दर्ज की?
सारांश
Key Takeaways
- पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया में 2.07 लाख दावे और आपत्तियां आईं।
- टीएमसी ने भाजपा पर साजिश का आरोप लगाया है।
- सीईओ ने कहा कि प्रक्रिया पारदर्शी है।
- अंतिम रोल 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगा।
- राजनीतिक दलों में गंभीर प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है।
कोलकाता, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया में तेजी आई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पश्चिम बंगाल के आधिकारिक दैनिक बुलेटिन के अनुसार, 17 दिसंबर से 30 दिसंबर के बीच राजनीतिक दलों द्वारा कुल 2,07,001 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं।
बुलेटिन के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सर्वाधिक 61,186 दावे-आपत्तियां दर्ज कीं, जबकि आम आदमी पार्टी, बसपा आदि की संख्या नगण्य रही। राज्य दलों में, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 77,091 दावे-आपत्तियां दाखिल कीं, सीपीआई(एम) ने 49,079, कांग्रेस ने 18,733 और फॉरवर्ड ब्लॉक ने 1,885 दाखिल किए। कुल मिलाकर राजनीतिक दलों द्वारा 8 शामिल होने की मांग की गई, जबकि हटाने की कोई मांग नहीं आई।
सीईओ ने स्पष्ट किया कि ब्लॉक लेवल एजेंट्स (बीएलए) द्वारा बिना निर्धारित फॉर्म 6 (शामिल करने) या फॉर्म 7 (हटाने) के सामान्य शिकायतें अमान्य मानी जाती हैं और उन्हें दावे-आपत्ति में नहीं गिना जाता। ड्राफ्ट रोल के प्रकाशन से पहले फॉर्म 6 में 3,31,075 और फॉर्म 7 में 56,867 आवेदन प्राप्त हुए थे। वर्तमान में ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल में 7,08,16,630 मतदाता शामिल हैं।
एसआईआर प्रक्रिया नवंबर 2025 में शुरू हुई, जिसमें डोर-टू-डोर गणना के बाद 16 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल जारी किया गया। इसमें 58 लाख से अधिक नाम (मृत, डुप्लिकेट, स्थानांतरित, अनुपस्थित) हटाए गए। 32 लाख 'अनमैप्ड' मतदाताओं (जिन्हें 2002 रोल से नहीं जोड़ा जा सका) को 27 दिसंबर से सुनवाई नोटिस जारी हो रहे हैं। दावे-आपत्तियों की अवधि 15 जनवरी 2026 तक है, सुनवाई 16 जनवरी से 7 फरवरी तक चलेगी और अंतिम रोल 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगा।
यह प्रक्रिया विवादास्पद रही है। टीएमसी इसे भाजपा की साजिश बता रही है, जिसमें मुस्लिम और बंगाली मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है। टीएमसी ने आरोप लगाया कि एसआईआर से मानसिक दबाव के कारण कई मौतें हुईं। वहीं भाजपा इसे अवैध प्रवासियों (बांग्लादेशी) को हटाने का आवश्यक कदम बता रही है। सीईओ ने कहा कि प्रक्रिया पारदर्शी है और योग्य मतदाताओं को कोई डर नहीं होना चाहिए।