क्या ओडिशा में खाद संकट के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है?

सारांश
Key Takeaways
- खाद संकट ओडिशा के कई जिलों में गंभीर है।
- किसान लंबी कतारों में खड़े होने को मजबूर हैं।
- सरकार पर कालाबाजारी का आरोप लगाया जा रहा है।
- विपक्ष ने राजभवन के बाहर प्रदर्शन का निर्णय लिया है।
- राज्य सरकार का कहना है कि स्थिति नियंत्रित है।
भुवनेश्वर, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के अनेक जिलों में चल रहे खाद संकट के मुद्दे पर रविवार को विपक्षी दल बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस ने राज्य सरकार पर तीखा प्रहार किया। इन दोनों दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसानों को गुमराह कर रही है और जमीनी सच्चाई से मुंह मोड़ रही है।
वरिष्ठ बीजद नेता प्रसन्न आचार्य ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार द्वारा खाद की उपलब्धता के बारे में किए गए दावे झूठे और भ्रामक हैं।
उन्होंने सरकार से निवेदन करते हुए कहा, "मंत्रियों को केवल भुवनेश्वर में बयान देने के बजाय गाँवों में जाकर वास्तविकताओं का सामना करना चाहिए। यदि उन्हें विश्वास है कि किसानों को पर्याप्त खाद मिल रही है, तो हम उनके दावों को मान लेंगे। लेकिन हकीकत यह है कि किसानों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है।"
उन्होंने बताया कि कई जिलों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के बाहर कई मीलों लंबी कतारें देखी जा रही हैं।
प्रसन्न आचार्य ने यह भी कहा कि खाद की कालाबाजारी हो रही है और किसान मजबूरी में बाजार से दो से तीन गुना अधिक दाम पर खाद खरीदने को मजबूर हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह संकट दर्शाता है कि राज्य में खाद की आपूर्ति पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, जबकि स्टॉक उपलब्ध है।
प्रसन्न आचार्य ने घोषणा की कि बीजद सोमवार को भुवनेश्वर स्थित राजभवन के बाहर प्रदर्शन करेगी और राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग करेगी ताकि खाद संकट का समाधान निकाला जा सके।
कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आगामी विधानसभा सत्र में किसानों की समस्याओं को जोर-शोर से उठाएगी और सरकार से जवाब मांगेगी।
विपक्ष के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के संसदीय कार्य मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन माझी के नेतृत्व में सरकार किसानों के हित में निरंतर कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा, "विपक्ष केवल झूठे आरोप लगाकर किसानों को भ्रमित करना चाहता है। लेकिन अब किसान और जनता समझ चुके हैं कि उनका भला कौन कर रहा है। सरकार विधानसभा में हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।"