क्या गांधी-शास्त्री के आदर्शों पर चलकर आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा?

सारांश
Key Takeaways
- महात्मा गांधी का योगदान सत्य और अहिंसा के प्रति समर्पण है।
- लाल बहादुर शास्त्री का नारा 'जय जवान जय किसान' आज भी प्रासंगिक है।
- आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करना आवश्यक है।
- भारत को विकसित बनाने के लिए गांधी-शास्त्री के आदर्शों का पालन करना चाहिए।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भारत उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ‘आत्मनिर्भर’ और ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करेगा।
पीएम मोदी ने गुरुवार सुबह राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को पुष्पांजलि भी अर्पित की।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "गांधी जयंती पर हम अपने प्यारे बापू के असाधारण जीवन को याद करते हैं, जिनके आदर्शों ने मानव इतिहास को बदल दिया। उन्होंने दिखाया कि कैसे साहस और सादगी महान बदलाव का जरिया बन सकते हैं। वे सेवा और करुणा की शक्ति पर विश्वास करते थे, क्योंकि वे लोगों को सशक्त बनाने का एक जरूरी तरीका थे। विकसित भारत के निर्माण के हमारे लक्ष्य में हम उनके बताए रास्ते पर ही चलते रहेंगे।"
महात्मा गांधी को 'गांधी जयंती' पर सत्य, अहिंसा और सामाजिक न्याय के प्रति उनके आजीवन समर्पण के लिए याद किया जाता है। यह दिन न केवल उनकी शांति और नैतिक जीवन की विचारधारा का सम्मान करता है, बल्कि विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
पीएम मोदी ने महात्मा गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने एक्स प्लेटफॉर्म पर एक अन्य पोस्ट में लिखा, "लाल बहादुर शास्त्री एक महान राजनेता थे, जिनकी ईमानदारी, विनम्रता और दृढ़ संकल्प ने भारत को मजबूत किया। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय में भी नेतृत्व, शक्ति और निर्णायक कार्यवाही का उदाहरण प्रस्तुत किया। 'जय जवान जय किसान' का उनका नारा हमारे लोगों में देशभक्ति की भावना जगाता है। वे आज भी एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के हमारे प्रयासों में हमें प्रेरित करते रहते हैं।"
बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री का 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्म हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे।