क्या पुतिन की भारत यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को मिलेगा बढ़ावा, 2030 तक व्यापार 100 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद?

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क्या पुतिन की भारत यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को मिलेगा बढ़ावा, 2030 तक व्यापार 100 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद?

सारांश

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा और भारत-रूस बिजनेस फोरम, दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाने का महत्वपूर्ण अवसर है। इस यात्रा के दौरान, 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने की संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी।

Key Takeaways

  • पुतिन की यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी।
  • भारत का रूस के साथ व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुँच गया है।
  • 2030 तक 100 अरब डॉलर का व्यापार लक्ष्य है।
  • फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग और आईटी सेवाओं में व्यापार के अवसर हैं।
  • रूस में भारतीय निवेश मुख्यतः तेल और गैस में है।

नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा और साथ में आयोजित होने वाला भारत-रूस बिजनेस फोरम दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने का एक सही अवसर है। यह जानकारी फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन्स (फियो) द्वारा शुक्रवार को साझा की गई।

पुतिन 4-5 दिसंबर को 23वीं भारत-रूस वार्षिक समिट के लिए भारत आ रहे हैं।

हालिया व्यापार आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 26 की अप्रैल से अगस्त के बीच भारत का रूस को निर्यात लगभग 1.84 अरब डॉलर रहा, जबकि रूस से आयात 26.45 अरब डॉलर रहा।

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार ने 68.7 अरब डॉलर का रिकॉर्ड बनाया, जिसमें निर्यात लगभग 4.88 अरब डॉलर और आयात 63.84 अरब डॉलर था। इसमें मुख्य रूप से कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, उर्वरक और अन्य कच्चे माल शामिल हैं।

फियो के अनुसार, 2021 से लेकर पिछले चार वर्षों में वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार पांच गुना से अधिक बढ़कर लगभग 13 अरब डॉलर से 2024-25 में 68 अरब डॉलर तक पहुँच गया है।

दोनों देशों ने आपसी व्यापार को 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।

फियो के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने बताया कि भारत के पास फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि उत्पाद, ऑटो और आईटी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में रूस को निर्यात बढ़ाने के कई अवसर हैं।

उन्होंने आगे कहा कि रूस से कई पश्चिमी कंपनियों के बाहर निकलने से भारतीय निर्यातकों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में खालीपन भरने का एक महत्वपूर्ण अवसर उत्पन्न हुआ है।

द्विपक्षीय निवेश अब भी महत्वपूर्ण है और पिछले कुछ वर्षों में इसमें वृद्धि हुई है, जबकि इसका लक्ष्य 2025 तक 50 अरब डॉलर का है।

भारत में रूसी निवेश मुख्य रूप से तेल और गैस, पेट्रोकेमिकल्स, बैंकिंग, रेलवे और इस्पात में है, जबकि रूस में भारतीय निवेश का मुख्य क्षेत्र तेल और गैस तथा फार्मास्यूटिकल्स हैं।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) जैसे लॉजिस्टिक्स गलियारों का पुनर्निर्माण और विस्तार भी द्विपक्षीय व्यापार को अधिक लागत प्रभावी बना रहा है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत और रूस के बीच के संबंधों में नई ऊर्जा का संचार होगा। द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। दोनों देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने आर्थिक संबंधों को और मजबूत करें, जिससे न केवल उनके अपने देश बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़े।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

पुतिन की यात्रा का क्या महत्व है?
पुतिन की यात्रा से भारत-रूस के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूती मिलेगी।
भारत का रूस के साथ व्यापार कितना है?
भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुँच गया है।
2030 तक व्यापार का लक्ष्य क्या है?
2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य है।
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