क्या गुजरात में एमएसपी पर खरीदी के लिए सैटेलाइट से फसल सत्यापन शुरू हुआ?

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क्या गुजरात में एमएसपी पर खरीदी के लिए सैटेलाइट से फसल सत्यापन शुरू हुआ?

सारांश

गुजरात सरकार द्वारा सैटेलाइट इमेज आधारित फसल सत्यापन की शुरुआत की गई है, जिससे किसानों को एमएसपी योजना के लाभ में पारदर्शिता मिलेगी। इस प्रक्रिया में मूंगफली की खरीद प्राथमिकता पर है। जानें इस योजना की विशेषताएँ और इसे कैसे लागू किया जाएगा।

Key Takeaways

  • गुजरात सरकार ने सैटेलाइट इमेज आधारित फसल सत्यापन शुरू किया।
  • किसानों को एसएमएस मिलने पर घबराने की जरूरत नहीं है।
  • डिजिटल क्रॉप सर्वे ऐप किसानों के लिए उपलब्ध है।
  • एमएसपी पंजीकरण की अंतिम तिथि 22 सितंबर है।
  • कृषि क्षेत्र राज्य की कार्यबल का 65 प्रतिशत है।

गांधीनगर, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजना के अंतर्गत खरीफ फसलों की खरीद को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए सैटेलाइट इमेज आधारित फसल सत्यापन और डिजिटल क्रॉप सर्वे की प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल का पहला प्रयोग मूंगफली की खरीदी के लिए किया जाएगा।

कृषि विभाग द्वारा किए गए डिजिटल सर्वे में यह पता चला है कि जिन किसानों ने एमएसपी पर मूंगफली बेचने के लिए पंजीकरण किया है, उनमें से 10 प्रतिशत से कम सर्वे नंबरों पर मूंगफली की बुवाई नहीं पाई गई। ऐसे किसानों को एसएमएस के माध्यम से सूचित किया गया है।

इस मुद्दे पर जानकारी साझा करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. अंजू शर्मा ने कहा कि इन संदेशों को लेकर किसानों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। जिन किसानों ने वास्तव में अपने खेत में मूंगफली बोई है, वे अपने ग्राम सेवक या ग्राम सर्वेयर से संपर्क कर फसल का सत्यापन करवा सकते हैं।

किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने 'डिजिटल क्रॉप सर्वे–गुजरात' नामक मोबाइल ऐप भी उपलब्ध कराया है, जिससे किसान अपनी फसल की जानकारी स्वयं अपलोड कर सकते हैं।

डॉ. शर्मा ने बताया कि अधिक से अधिक किसानों को एमएसपी योजना का लाभ देने के लिए मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन के लिए एमएसपी पंजीकरण की अंतिम तिथि 22 सितंबर तक बढ़ा दी गई है।

17 सितंबर 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, 8.79 लाख किसान मूंगफली के लिए, 66,000 किसान सोयाबीन के लिए, 5,000 किसान उड़द के लिए और 1,100 से अधिक किसान मूंग के लिए पंजीकरण करा चुके हैं।

डॉ. शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि एसएमएस मिलने के बावजूद, जिन किसानों ने मूंगफली बोई है, उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि खरीद केवल फील्ड वेरिफिकेशन के बाद ही की जाएगी। ऐसे सर्वे नंबरों की सूची जिलों को भेज दी गई है ताकि स्थानीय स्तर पर जांच की जा सके।

किसानों को निर्देश दिए गए हैं कि मोबाइल ऐप का उपयोग कैसे करें, इसकी ट्रेनिंग 'वंदे गुजरात चैनल' के माध्यम से दी जा रही है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फसल की जियो-टैग फोटो भी सबूत के तौर पर रखें।

डॉ. शर्मा ने दोहराया कि जो किसान वास्तव में मूंगफली की खेती कर रहे हैं, उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। सत्यापन पूरा होने के बाद उनकी फसल की खरीदी एमएसपी पर सुनिश्चित की जाएगी।

गौरतलब है कि गुजरात में कृषि क्षेत्र राज्य की कुल कार्यबल का 65 प्रतिशत हिस्सा है और राज्य में 90 लाख किसान और खेत मजदूर हैं। राज्य खरीफ और रबी दोनों मौसमों में प्रमुख फसलों जैसे बाजरा, मक्का, धान, मूंगफली, कपास, गेहूं, सरसों, जीरा और गन्ने की खेती करता है।

Point of View

सरकार ने पारदर्शिता लाने का प्रयास किया है। यह सुनिश्चित करना कि किसान बिना घबराए अपनी फसल की बिक्री कर सकें, एक सकारात्मक संकेत है।
NationPress
17/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या किसानों को एसएमएस मिलने पर घबराना चाहिए?
नहीं, किसानों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। जिन किसानों ने वास्तविकता में मूंगफली बोई है, उन्हें अपने ग्राम सेवक से संपर्क करना चाहिए।
डिजिटल क्रॉप सर्वे ऐप का उपयोग कैसे करें?
किसानों को ऐप का उपयोग करने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है, जिसे 'वंदे गुजरात चैनल' पर देखा जा सकता है।
एमएसपी पंजीकरण की अंतिम तिथि कब है?
एमएसपी पंजीकरण की अंतिम तिथि 22 सितंबर तक बढ़ा दी गई है।