क्या वीर सावरकर ने ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ की नींव रखी? अमित शाह का बयान

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क्या वीर सावरकर ने ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ की नींव रखी? अमित शाह का बयान

सारांश

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नींव रखी। इस कार्यक्रम में सावरकर की कविताओं के संग्रह ‘सागर प्राण तळमळा’ की 115वीं वर्षगांठ मनाई गई। यह सावरकर के योगदान को उजागर करता है और उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने का आह्वान करता है।

Key Takeaways

  • सावरकर ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नींव रखी।
  • उन्होंने साहित्य में कई नवाचार किए।
  • आज का स्थान सावरकर के कारण तीर्थस्थल बन गया है।
  • अमित शाह ने सावरकर की विचारधारा को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
  • सावरकर की प्रतिमा का अनावरण महत्वपूर्ण है।

श्री विजयपुरम (अंडमान-निकोबार), 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वीर सावरकर ने ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ की अवधारणा की नींव रखी। श्री विजयपुरम में सावरकर की कविताओं के संग्रह ‘सागर प्राण तळमळा’ के 115 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में वे संबोधित कर रहे थे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि सावरकर की विचारधारा का प्रचार पूरे देश में होना चाहिए और माता-पिता को इसे अपने बच्चों के साथ साझा करना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भी इसी विचारधारा से प्रेरित है।

गृह मंत्री ने सावरकर को एक लेखक, योद्धा, जन्मजात देशभक्त और दूरदर्शी बताया। उनका मानना है कि बहुत कम साहित्यकार ऐसे होते हैं जो गद्य और पद्य दोनों में समान रूप से निपुण होते हैं, और सावरकर उनमें से एक थे।

उन्होंने कहा, “मैंने उनका साहित्य ध्यानपूर्वक पढ़ा है और आज भी यह निश्चित नहीं कर पाता कि वे बेहतर कवि थे या लेखक, क्योंकि वे दोनों ही रूपों में अद्वितीय थे। बाद में वे महान भाषाविद भी बने और उन्होंने कई नए शब्दों का निर्माण कर भाषा को समृद्ध किया। ऐसे लगभग 600 से अधिक शब्द हैं, जो सावरकर ने दिए।”

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा सावरकर की प्रतिमा अनावरण का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह प्रतिमा वीर सावरकर के बलिदान, संकल्प और देशभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों को सावरकर के साहस, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्र की एकता-सुरक्षा के संकल्प से प्रेरित करेगी।

गृह मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले सेल्युलर जेल में भेजे गए कैदियों को परिवार भुला देता था और कोई उम्मीद नहीं करता था कि वे कभी लौटेंगे। आज यही स्थान सावरकर के कारण पूरे देशवासियों के लिए तीर्थस्थल बन गया है।

उन्होंने बताया कि यह स्थान नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यादों से भी जुड़ा है। आज़ाद हिंद फौज ने सबसे पहले अंडमान-निकोबार को मुक्त कराया था और सुभाष बाबू यहां दो दिन रुके थे। उन्होंने इन द्वीपों का नाम ‘शहीद’ और ‘स्वराज’ रखने का सुझाव दिया था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने लागू किया।

गृह मंत्री ने कहा कि अंडमान-निकोबार की यह पवित्र भूमि वह स्थान है जहां भारत के हर प्रांत से आए स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर किए। उन्होंने कहा, “इस पवित्र धरती पर संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत द्वारा सावरकर की प्रतिमा का अनावरण होना इसे और भी स्मरणीय बना देता है।”

Point of View

बल्कि यह भी बताता है कि वर्तमान सरकार किस प्रकार सावरकर के विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
NationPress
12/12/2025

Frequently Asked Questions

वीर सावरकर कौन थे?
वीर सावरकर, जिनका वास्तविक नाम विनायक दामोदर सावरकर था, एक महान स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और विचारक थे।
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद क्या है?
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एक विचारधारा है जो राष्ट्रीयता को संस्कृति और इतिहास के संदर्भ में जोड़ती है।
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