क्या बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी?

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क्या बिहार में एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी?

सारांश

बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामलों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है। क्या यह सुनवाई चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करेगी? जानिए इस महत्वपूर्ण मामले के बारे में सभी जानकारी।

Key Takeaways

  • विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामलों पर सुनवाई जारी है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को पहचान प्रमाण माना है।
  • चुनाव आयोग को निर्देश दिए गए हैं कि वह आधार कार्ड को मान्यता दे।
  • निर्वाचकों के पंजीकरण में आयोग का विवेक महत्वपूर्ण है।
  • इस मामले की सुनवाई देशभर में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।

नई दिल्ली, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पुनः सुनवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कॉज लिस्ट के अनुसार, मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ करेगी।

पिछले 8 सितंबर को पारित आदेश में न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने आधार कार्ड की भूमिका पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी।

अदालत ने कहा कि प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) के तहत आधार को पहचान पत्र के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया, "हम चुनाव आयोग और उसके अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि वे आधार कार्ड को मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार करें।"

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार को पहचान के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाएगा और इसकी सत्यता की जांच अन्य दस्तावेजों की तरह की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 9 सितंबर तक यह निर्देश जारी करने को कहा था कि किस प्रकार आधार का उपयोग मतदाता पहचान के रूप में किया जाएगा।

इस मामले में चुनाव आयोग ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट किया कि चुनावी मतदाता सूची में संशोधन किस प्रकार करना है, यह पूरी तरह से आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है।

आयोग के सचिव पवन दीवान द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया, "निर्वाचकों के पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 25 के अनुसार, यह पूरी तरह चुनाव आयोग के विवेक पर है कि वह संक्षिप्त पुनरीक्षण करे या सघन पुनरीक्षण। इसमें किसी अन्य प्राधिकरण की कोई भूमिका नहीं है।"

Point of View

बल्कि यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण भी बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय चुनावी पारदर्शिता और आधार कार्ड के उपयोग को लेकर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है। चुनाव आयोग की भूमिका और उसके अधिकारों पर इस सुनवाई का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
NationPress
14/09/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कब होगी?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
आधार कार्ड का चुनावी प्रक्रिया में क्या महत्व है?
आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने में मदद करेगा।