क्या योग आंतरिक जड़ता, संदेह और भय के विरुद्ध लड़ाई है? : आचार्य प्रशांत

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क्या योग आंतरिक जड़ता, संदेह और भय के विरुद्ध लड़ाई है? : आचार्य प्रशांत

सारांश

आचार्य प्रशांत ने योग का वास्तविक अर्थ स्पष्ट किया, जिससे लोगों में आंतरिक स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास की समझ बढ़ी। उनका प्रवचन न केवल ज्ञानवर्धक था, बल्कि लोगों को उनके जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण भी प्रदान किया।

Key Takeaways

  • योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि आंतरिक विकास का माध्यम है।
  • आचार्य प्रशांत ने योग की नई परिभाषा प्रस्तुत की।
  • यह प्रवचन दर्शकों को आध्यात्मिक नजरिए से जोड़ता है।
  • योग का अर्थ आंतरिक स्पष्टता और शक्ति प्राप्त करना है।
  • भगवद गीता का ज्ञान आज के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक आचार्य प्रशांत को 'भगवद गीता के प्रकाश में योग' शीर्षक से दिए गए उनके प्रवचन के लिए पूरे देश में अपार प्रशंसा प्राप्त हुई।

गोवा से लाइव प्रसारित इस कार्यक्रम ने भारत के 40 से अधिक सिनेमा हॉलों में एक अद्वितीय आध्यात्मिक मील का पत्थर स्थापित किया, जिसने थिएटरों को आत्मनिरीक्षण, चिंतन और दार्शनिक संलग्नता के क्षेत्र में बदल दिया।

रायपुर, कोलकाता, जोधपुर, गोवा और बिलासपुर जैसे शहरों के लोगों ने इस संवाद की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे उनके योग के प्रति दृष्टिकोण में परिवर्तन आया है।

राष्ट्र प्रेस ने देशभर के कई श्रोताओं से बात की और एक आम धारणा सामने आई कि आचार्य प्रशांत ने लाखों लोगों के योग के प्रति दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित किया है। उनका ध्यान शारीरिक आसनों से हटकर आंतरिक स्पष्टता और आध्यात्मिक शक्ति पर केंद्रित है।

गोवा के एक युवा साधक का कहना है कि यह केवल 'योगा' नहीं है, बल्कि योग है।

लाइव सेशन में शामिल गोवा की 24 वर्षीय नूतन ने कहा, "मुझे यह बहुत पसंद आया। मैं 24 साल की हूं और आज पहली बार मुझे योग का असली अर्थ समझ में आया। योग का अर्थ लचीलापन या मुद्रा नहीं है। यह हमारी उच्चतम क्षमता को प्राप्त करने के बारे में है। 'योग' सही शब्द है, यह कोई व्यायाम नहीं, बल्कि विकास का एक रास्ता है।"

हितेश ने कहा, "आज मुझे एहसास हुआ कि योग का अर्थ है यह जानना कि आप वास्तव में कौन हैं। मैंने बहुत सी नई बातें समझीं, जो पहले कभी स्पष्ट नहीं थीं।"

रायपुर निवासियों ने भी आध्यात्मिक बदलाव का अनुभव किया। एक निवासी ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "पहले मुझे लगता था कि योग केवल शारीरिक तंदुरुस्ती के लिए है। लेकिन आचार्य प्रशांत को सुनने के बाद अब मुझे समझ में आया है कि योग का अर्थ आंतरिक स्पष्टता प्राप्त करना है। दुखों को दूर करना ही योग है।"

रायपुर के एक अन्य दर्शक ने कहा, "आचार्य प्रशांत बहुत गहराई से बोलते हैं। वे आत्मा को शुद्ध करना चाहते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सच्चा योगी वह है, जो खुद को जानता है। यह एक शक्तिशाली संदेश था।"

कोलकाता के दर्शकों को भी योग में एक नया उद्देश्य मिला। कोलकाता में उपस्थित लोगों ने भी इसी प्रकार की भावनाएँ व्यक्त कीं।

एक व्यक्ति ने कहा कि आज तक, मुझे लगता था कि योग केवल स्ट्रेचिंग और सांस लेने के व्यायाम के बारे में है। अब मैं समझ गया हूं कि योग हमारे दुख के मूल कारण को पहचानने और उसे भीतर से मिटाने के बारे में है। यही सच्चा योग है।

जोधपुर के एक दर्शक ने कहा, "उन्होंने योग का असली अर्थ समझाया। मैं पहले सोचता था कि यह केवल शारीरिक दिनचर्या के बारे में है, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि यह निडर बनने, सब कुछ छोड़ने और अपने सर्वश्रेष्ठ रूप तक पहुँचने के बारे में है।"

एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "आचार्य प्रशांत ने योग के बारे में बहुत विस्तार से बताया। यह शरीर को मोड़ने के बारे में नहीं, बल्कि भीतर से स्वयं को बदलने के बारे में है।"

बिलासपुर के एक निवासी ने कहा कि योग हमारी सर्वोच्च क्षमता तक पहुँचने के बारे में है। जैसा कि भगवान कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं, 'योग दुःख से वियोग है।' यह सत्य आज बहुत जोरदार तरीके से सामने आया।

एक अन्य ने कहा कि योग शारीरिक फिटनेस से कहीं अधिक है। यह हमारे दुख के पीछे के कारण की खोज करने और उस पर काबू पाने के बारे में है। आचार्य प्रशांत ने हमें गीता की शिक्षाओं की गहरी समझ प्रदान की। यह वास्तव में एक ज्ञानवर्धक अनुभव था।

प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन और पीवीआर-आईएनओएक्स द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में पहली बार सिनेमा हॉल में भगवद गीता पर चर्चा की गई। मुंबई, पुणे, गुरुग्राम, पटना, इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में दर्शकों ने किसी ब्लॉकबस्टर फिल्म के लिए नहीं, प्राचीन ज्ञान पर आधारित आध्यात्मिक प्रवचन के लिए टिकट खरीदे।

आचार्य प्रशांत के संदेश ने आधुनिक विश्व में योग के वस्तुकरण को सीधी चुनौती दी। उन्होंने कहा कि गीता का योग शारीरिक लचीलेपन के बारे में नहीं है। यह आंतरिक अजेयता के बारे में है।

आचार्य प्रशांत ने कहा कि अर्जुन को उठने के लिए कहा गया था, न कि खींचने के लिए। प्राचीन योगी सोशल मीडिया पर लाइक पाने के लिए पोज नहीं देते थे। वह सत्य के योद्धा थे। गीता में अर्जुन को ध्यान करने या श्वास अभ्यास करने के लिए नहीं कहा गया था। उसे युद्ध के बीच में समझदारी से काम लेने के लिए प्रेरित किया गया था। योग आपकी आंतरिक जड़ता, संदेह और भय के विरुद्ध लड़ाई है।

आचार्य प्रशांत 160 से अधिक किताबों के बेस्टसेलर लेखक हैं और प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं। उनकी शिक्षाएं वेदांत, बौद्ध धर्म, अस्तित्ववादी दर्शन और आधुनिक मनोविज्ञान को एक साथ मिलाती हैं, जिससे भारतीय शास्त्रों का ज्ञान रोजमर्रा की जिंदगी में सुलभ और लागू होता है।

Point of View

बल्कि यह आत्मा की गहराई में जाकर आंतरिक स्पष्टता और शक्ति प्राप्त करने का माध्यम है। इस दृष्टिकोण ने लोगों के जीवन में एक नई रोशनी डाली है।
NationPress
21/06/2025

Frequently Asked Questions

योग का असली अर्थ क्या है?
योग का असली अर्थ आंतरिक स्पष्टता और आत्मिक विकास है, न कि केवल शारीरिक व्यायाम।
आचार्य प्रशांत ने योग के बारे में क्या कहा?
आचार्य प्रशांत ने योग को आंतरिक जड़ता, संदेह और भय के विरुद्ध लड़ाई बताया।
इस कार्यक्रम का महत्व क्या था?
यह कार्यक्रम सिनेमा हॉल में भगवद गीता पर चर्चा का एक अद्वितीय उदाहरण था, जिसने लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ा।
क्या योग केवल व्यायाम है?
नहीं, योग अधिकतर आंतरिक विकास और स्पष्टता प्राप्त करने का माध्यम है।
आचार्य प्रशांत की शिक्षाएं किस प्रकार की हैं?
आचार्य प्रशांत की शिक्षाएं वेदांत, बौद्ध धर्म, अस्तित्ववादी दर्शन और आधुनिक मनोविज्ञान को मिलाकर ज्ञान प्रदान करती हैं।